
पुतिन को झटका...! डोनबास में हमले की 10 कोशिशें नाकाम, मारियांका से भी रूसी सेना खदेड़ी गई
AajTak
Russia-Ukraine War: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बताया है कि रूस की सेना ने डोनबास में हमले तेज कर दिए हैं. रूस ने पिछले हफ्ते कहा था कि अब उसका मकसद डोनबास पर कब्जा करना है.
Russia-Ukraine War: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अब अपना फोकस डोनबास (Donbas) पर कब्जे में लगा दिया है. डोनबास पूर्वी यूक्रेन में पड़ता है और पश्चिमी यूक्रेन की तुलना में यहां रूसी समर्थक आबादी ज्यादा मानी जाती है. यूरोपीय अधिकारियों के मुताबिक, डोनबास में पहले से ही रूस के समर्थन में 10 से 20 हजार लड़ाके मौजूद हैं. हालांकि, इसके बावजूद रूसी सेना के लिए डोनबास पर कब्जा कर पाना मुश्किल हो रहा है.
जंग के 35 दिन पूरे होने के बाद रूस के सैन्य अधिकारी सर्गेई रत्स्कॉय ने कहा था कि यूक्रेन के खिलाफ सैन्य अभियान का पहला चरण पूरा हो गया है और अब रूसी सेना डोनबास को पूरी तरह आजाद कराने पर फोकस करेगी. हालांकि, एक्सपर्ट ने इसे रूसी सेना की नाकामी से जोड़ा था. एक्सपर्ट का मानना था कि इतने दिन की भीषण जंग के बाद भी कीव पर कब्जा न कर पाने के कारण रूस अब डोनबास पर ध्यान दे रहा है.
ये भी पढ़ें-- Russia-Ukraine War: क्या यूक्रेन पर Tactical Nuclear Weapon गिराएंगे पुतिन? जानें कितने खतरनाक हैं ये हथियार
यूक्रेन में रूस के 62 हजार सैनिक
एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रूस ने पिछले 24 घंटे में अपनी सेना में दो और टुकड़ियों को जोड़ा है. इसके बाद यूक्रेन में रूसी सेना की 78 टुकड़ियां हो गईं हैं. एक टुकड़ी में 700 से 800 सैनिक हैं. यानी, यूक्रेन में 55 हजार से 62 हजार रूसी सैनिक मौजूद हैं. ये सारे सैनिक दक्षिण और पूर्व में हैं. पिछले हफ्ते तक यूक्रेन में रूसी सेना की 65 टुकड़ियां मौजूद थीं.
इनके अलावा डोनबास में रूसी समर्थक विदेशी लड़ाके भी मौजूद हैं. एक यूरोपीय अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि डोनबास में 10 से 20 हजार विदेशी लड़ाके हैं. ये लड़ाके सीरिया और लीबिया के हैं.

पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने गुरुवार को बलूचिस्तान के दौरे पर पहुंचे हैं, जहां उन्होंने कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की. पाकिस्तानी सेना का दावा है कि उसने रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया है तो दूसरी ओर बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) का कहना है कि ISPR द्वारा किए गए दावे झूठे हैं और पाक हार को छिपाने की नाकाम कोशिश कर रहा है.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.