पुणे पोर्श कांड, झूठ का जाल और पुलिस का एक्शन.. ऐसे हो रहा है अमीरजादे की खूनी करतूत का पर्दाफाश
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पुलिस की मानें तो ये झूठी थ्योरी प्लांट कर आरोपी विशाल अग्रवाल अपने नाबालिग बेटे को बचाने की कोशिश कर रहा था, जो दो लोगों की मौत का गुनहगार है. लेकिन चूंकि अपने बेटे को बचाने के लिए उसने झूठी थ्योरी प्लांट करने की कोशिश की तो पुलिस ने अब उसके खिलाफ दो और धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है.
Pune Porsche case: महाराष्ट्र के पुणे में 18 और 19 मई की रात को जब से पोर्श कार के एक्सीडेंट की खबर सामने आई है, तब से सभी को ये पता है कि उस रोज़ कार नाबालिग आरोपी ही चला रहा था. लेकिन इसके बाद कार मालिक विशाल अग्रवाल ने एक चाल चली. उसने कहा कि कार उनका ड्राइवर गंगाराम चला रहा था. और तो और उसने ड्राइवर से पुलिस के सामने ये बयान भी दिलवा दिया. मगर पुलिस की जांच में ऐसे सबूत सामने आए, जिसने इस झूठ की पोल खोलकर रख दी.
ड्राइवर पर लगाया गाड़ी चलाने का आरोप क्या 18 और 19 मई की दरम्यानी रात को जब पुणे में पोर्श कार का एक्सीडेंट हुआ, तो वो गाड़ी कार मालिक का नाबालिग बेटा नहीं, बल्कि उनका ड्राइवर चला रहा था? क्या बार में शराब पीने के बाद नाबालिग रईसज़ादा चुपचाप अपने दोस्तों के साथ गाड़ी में बैठ गया और उनका ड्राइवर 160-170 किलोमीटर की रफ्तार से कार भगाने लगा? ये अजीब, अविश्वसनीय और चौंकाने वाला सवाल इसलिए क्योंकि इस वारदात के पांच दिन बाद नाबालिग आरोपी के पिता और उसके ड्राइवर ने पुलिस को कुछ यही समझाने की कोशिश की.
उल्टी पड़ी चाल आरोपी के पिता की चाल नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल ने पुलिस को बताया कि उस रात गाड़ी उनका बेटा नहीं बल्कि उनका ड्राइवर चला रहा था. जबकि नाबालिग आरोपी, उसके दोस्तों और ड्राइवर ने तो ऐसा दावा करते हुए पुलिस के सामने बयान भी दे दिया. लेकिन आरोपियों की ये चाल उल्टी पड़ गई. पुलिस ने दावा किया कि उनकी जांच में ये साफ है कि कार नाबालिग आरोपी ही चला रहा था. ड्राइवर नहीं. बल्कि ड्राइवर ड्राइविंग सीट के बगल में बैठा हुआ था और नाबालिग आरोपी के बाकी दोस्त पीछे की सीट पर.
नाबालिग आरोपी के खिलाफ तमाम सबूत और चश्मदीद पुणे के पुलिस कमिश्नर ने कहा कि पुलिस के पास नाबालिग आरोपी के गाड़ी चलाने के ना सिर्फ कई सबूत हैं, बल्कि ऐसे चश्मदीद भी हैं, जिन्होंने नाबालिग आरोपी को एक्सीडेंट के बाद ड्राइविंग सीट से उतरते हुए देखा था. कई लोग इस दौरान वहां वीडियो भी बना रहे थे.
ड्राइवर से इल्जाम अपने सिर लेने को कहा पुलिस की मानें तो जब आरोपी बार से शराब पीकर निकले, तब ड्राइवर गंगाराम ने अपने मालिक यानी नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को फोन कर बताया कि नशे की हालत में गाड़ी उसका बेटा चलाना चाह रहा है, जो ठीक नहीं है. लेकिन ये जानने के बाद भी विशाल अग्रवाल ने ड्राइवर से गाड़ी की चाबी अपने बेटे को ही दे देने की बात कही. इसके बाद जब एक्सीडेंट हो गया, तो जैसे बात अग्रवाल परिवार को पता चली, विशाल और उसकी पत्नी ने तुरंत ड्राइवर गंगाराम को फोन कर ये हुक्म दिया वो इल्जाम अपने सिर पर ले ले और बदले में उसे बक्शीश मिलेगी.
बेटे को बचाने के लिए प्लांट की झूठी थ्योरी पुलिस की मानें तो ये झूठी थ्योरी प्लांट कर आरोपी विशाल अग्रवाल अपने नाबालिग बेटे को बचाने की कोशिश कर रहा था, जो दो लोगों की मौत का गुनहगार है. लेकिन चूंकि अपने बेटे को बचाने के लिए उसने झूठी थ्योरी प्लांट करने की कोशिश की और एक्सीडेंट केस में ड्राइवर वाली थ्योरी की एंट्री करानी चाही, पुलिस ने अब उसके खिलाफ दो और धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है. एक धारा आईपीसी की 201 है, जिसका मतलब सबूत नष्ट करने की कोशिश करना है, जबकि दूसरी धारा मोटर व्हीकल एक्ट की 420 है, जिसका मतलब कार के रजिस्ट्रेशन को लेकर झूठ बोलना है.
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