
पाकिस्तान ने मांगी मदद तो सऊदी अरब, UAE और चीन ने मारा बहाना
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मुश्किल वक्त में पाकिस्तान का साथ देने वाले दोस्त भी अब उससे पीछा छुड़ाने की कोशिश में हैं. सऊदी, चीन और यूएई से पाकिस्तान ने आर्थिक मदद मांगी है लेकिन इन देशों का कहना है कि पाकिस्तान पहले IMF से अपना लोन मंजूर कराए, उसके बाद ही वो उसे कर्ज देंगे. इधर, IMF भी पाकिस्तान को लोन देने के लिए कड़ी शर्तें रख रहा है.
एक तरफ पाकिस्तान जहां विदेशी मुद्रा भंडार की कमी और बढ़ते विदेशी कर्ज के कारण तेजी से दिवालिया होने के कगार पर जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ विदेशों से कर्ज लेना भी उसके लिए मुश्किल होता जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान को आर्थिक पैकेज देने से कतरा रहा है और कई कड़ी शर्त रख रहा है. ऐसे में पाकिस्तान के करीबी दोस्त समझे जाने वाले देश भी उसे कर्ज देने से आनाकानी कर रहे हैं. पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने खुद यह बात कही है.
पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने कहा कि संकटग्रस्त पाकिस्तान को उधार देने में करीबी देश अब सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने कहा, 'हम सऊदी अरब, यूएई गए और कई दूसरे देशों से बात की. वे पैसे देने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन सभी का कहना है कि हमें पहले आईएमएफ में जाने की जरूरत है.'
इस्माइल का कहना है कि चीन के एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक ने भी पाकिस्तान को कर्ज देने से ये कहते हुए मना कर दिया है कि अगर विश्व बैंक पैसा देता है तो ही वो पाकिस्तान को लोन के रूप में पैसे देगा. एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक को विश्व के बड़े फंडर्स के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए बनाया गया था.
साल 2018 में भी पाकिस्तान के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था लेकिन उस वक्त उसके करीबी समझे जाने वाले दोस्तों ने उसे काफी आर्थिक मदद दी थी. 2018 में पाकिस्तान इसी तरह के आर्थिक संकट से जूझ रहा था. पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में मदद के लिए जाने से पहले चीन, सऊदी अरब और यूएई से आर्थिक मदद मांगी थी और इन देशों ने उसकी मदद भी की थी. लेकिन अब ये देश पाकिस्तान को कर्ज देने से बच रहे हैं.
ब्लूमबर्ग 2009 से ही पाकिस्तान के आर्थिक स्थिति का डेटा जमा कर रहा है. डेटा के अनुसार, पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति वर्तमान में सबसे निचले स्तर पर है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार भी तेजी से खाली हो रहा है और ये एक साल से कम समय में ही आधा हो गया है. पाकिस्तानी रुपये में भी 8% की गिरावट आई है. एशिया के 13 देशों की मुद्रा से तुलना करें तो पाकिस्तानी रुपया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा है.
कर्ज चुकाने के लिए नहीं है पैसे

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