पहले राजीव गांधी, फिर सोनिया और अब राहुल... लोकसभा में Gandhi Family को तीसरी बार मिला ये अहम पद
AajTak
लोकसभा में गांधी परिवार से तीसरा सदस्य विपक्ष का नेता बनने जा रहा है. INDIA ब्लॉक की तरफ से राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष चुना गया है. इसके साथ ही राहुल गांधी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होगा. यह पहली बार है जब राहुल गांधी अपने ढाई दशक से अधिक लंबे राजनीतिक करियर में कोई संवैधानिक पद संभालेंगे.
10 साल बाद लोकसभा को विपक्ष का नेता मिलने जा रहा है. राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद संभालेंगे. मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर INDIA ब्लॉक के फ्लोर नेताओं की बैठक में ये फैसला लिया गया. हालांकि इससे पहले भी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली रह चुका है. 1980, 1989 और 2014 से लेकर 2024 तक ये पद खाली रहा.
नियमों के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए किसी भी विपक्षी पार्टी के पास लोकसभा की कुल संख्या का 10 फीसदी यानी 54 सांसद होना जरूरी है. लेकिन 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में किसी भी विपक्षी पार्टी के पास 54 सांसद नहीं थे. आखिरी बार दिवंगत बीजेपी नेता सुषमा स्वराज 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थीं. लेकिन इस बार कांग्रेस ने INDIA गठबंधन के तहत चुनाव लड़कर 99 सीटें जीती हैं.
इधर विपक्ष का नेता बनने के साथ ही राहुल गांधी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होगा. इससे प्रोटोकॉल लिस्ट में उनकी स्थिति तो बढ़ेगी ही, साथ ही वे भविष्य में विपक्ष के प्रधानमंत्री पग के स्वाभाविक दावेदार भी हो सकते हैं. यह पहली बार है जब राहुल गांधी अपने ढाई दशक से अधिक लंबे राजनीतिक करियर में कोई संवैधानिक पद संभालेंगे.
लोकसभा के विपक्ष के नेता के रूप में अब राहुल गांधी लोकपाल, सीबीआई प्रमुख, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की महत्वपूर्ण नियुक्तियों के अलावा केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग और एनएचआरसी प्रमुख के चयन पर महत्वपूर्ण पैनल के सदस्य भी होंगे. प्रधानमंत्री ऐसे सभी पैनल के प्रमुख हैं.
राजीव गांधी, सोनिया के बाद अब राहुल होंगे विपक्ष के नेता
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.