पहले तेरहवीं, फिर मौत और पोस्टमॉर्टम... आखिर किससे परेशान थे खुद अपना मृत्यु भोज खिलाने वाले हाकिम सिंह?
AajTak
पहले तेरहवीं, फिर चिता. अब भी नहीं समझे? तो चलिए सीधे समझाते हैं. अमूमन किसी की मौत के बाद ही तेरहवीं का भोज दिया जाता है. लेकिन यहां उल्टा था. एक शख़्स जीते जी अपनी तेरहवीं करा रहा था. पूरे गांव को तेरहवीं के भोज पर न्योता दे डाला था.
एक शख्स को शक था कि उसकी मौत के बाद रिश्तेदार उसकी तेरहवीं नहीं करेंगे और अगर ऐसा हुआ तो उसे सुकून नहीं मिलेगा. यही सोचकर उसने फैसला किया कि वो अपने जीते जी लोगों को अपनी तेहरवीं का खाना खिलाएगा. इसके बाद उसने जिंदा रहते हुए भी मृत्यु भोज का कार्ड छपवाया और पूरे गांव में बांट दिया. फिर अपने हाथों से करीब आठ सौ लोगों को खाना खिलाया और इसके अगले ही दिन जो हुआ, उसे जानकर हर कोई हैरान रह गया.
तेरहवीं के एक भोज की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं. उन तस्वीरों में शायद सारे लोग कैद ना हों, मगर गिनती के हिसाब से लगभग आठ सौ लोगों ने उस तेरहवीं का खाना खाया था. और दूसरी तस्वीर जो इसके बाद सामने आई, उसमें एक बुझी हुई चिता है. आज भी देश के कई ऐसे इलाके हैं, जहां श्मशान नहीं है. मजबूरन लोग अपने अपनों को किसी खेत किनारे ही चिता पर लिटा आते हैं.
अब आप कहेंगे कि इन दो तस्वीरों में ऐसा खास क्या है? तेरहवीं का भोज हमारे देश में आम रस्म या आम बात है. मौत के बाद धर्म के हिसाब से अंतिम संस्कार भी उतनी ही आम है. तो इससे पहले कि आप कुछ और सोचें, जरा रुकिए. आपने ऊपर की दो तस्वीरों की बात पर शायद पूरा ध्यान नहीं दिया. पहली तस्वीर भोज की है और दूसरी चिता की. तस्वीर के बारे में बताते वक़्त हमने कोई गलती नहीं की है. असल में सिक्वेंस यही है.
तेरहवीं के बाद मौत!
पहले तेरहवीं, फिर चिता. अब भी नहीं समझे? तो चलिए सीधे समझाते हैं. अमूमन किसी की मौत के बाद ही तेरहवीं का भोज दिया जाता है. लेकिन यहां उल्टा था. एक शख़्स जीते जी अपनी तेरहवीं करा रहा था. पूरे गांव को तेरहवीं के भोज पर न्योता दे डाला था. पूरे गांव ने जी भर कर तेरहवीं का खाना खाया. सबकुछ ठीक था. लेकिन फिर अगले दिन जिस शख्स ने जीते जी तेरहवीं का भोज दिया था, वो सचमुच मर गया. यानी तेरहवीं के भोज के ठीक 24 घंटे बाद.
मौत से पहले ही तेरहवीं
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.