पहले कारों के वैरिएंट से Maruti-Tata को चुनौती, अब IPO, क्या है Hyundai का प्लान?
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Hyundai IPO: हुंडई ने साल 1998 में इंडियन मार्केट में अपनी पहली कार के तौर पर Santro को पेश किया था. दो दशक से भी ज्यादा समय भारतीय बाजार में बीताने के बाद अब साउथ कोरियन कंपनी अपनी IPO लाने जा रही है. मारुति, टाटा और महिंद्रा जैसे दिग्गज देशी ब्रांड्स के बीच हुंडई ने किस तरह इंडियन मार्केट में अपनी पकड़ बनाई ये बेहद ही दिलचस्प है.
साउथ कोरियन कार निर्माता कंपनी हुंडई इस समय चर्चा में है, और सुर्खियों में होने का कारण ब्रांड की कोई कार नहीं बल्कि कंपनी का आने वाला आईपीओ है. ख़बरों के मुताबिक हुंडई भारत में अपना आईपीओ (Hyundai IPO) लाने वाला है. बताया जा रहा है कि, ये अब तक का सबसे महंगा आईपीओ हो सकता है. इंडस्ट्री के पंडितों के मुताबिक हुंडई के इस आईपीओ की साइज़ तकरीबन 21,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो सकती है, अब तक ये रिकॉर्ड LIC के नाम रहा है.
बहरहाल, हुंडई भारतीय ग्राहकों के लिए सबसे पुराना और जाना पहचाना नाम है. मारुति सुजुकी के बाद पैसेंजर सेग्मेंट में हुंडई दूसरी सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है. बाजार में हिस्सेदारी की बात करें तो साल 2023 में हुंडई का मार्केट शेयर 14.7% रहा, वहीं कंपनी के प्रीमियम ब्रांड Kia India की हिस्सेदारी लगभग 6.2% रही है. हुंडई इस समय देश की दूसरी सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है और समय के साथ खुद को अपडेट करते हुए कंपनी ने भारतीय बाजार में कई बेहतरीन कारों को भी पेश किया है.
28 सालों का साथ:
हुंडई मोटर इंडिया ने तकरीबन 28 साल पहले 6 मई 1996 को भारत में अपने सफर की शुरुआत की थी. जब हुंडई मोटर कंपनी ने 1996 में भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में प्रवेश किया तो हुंडई ब्रांड इंडियंस के लिए नया नाम था. उस दौर में केवल 5 प्रमुख ऑटोमोबाइल निर्माता थे, जिसमें मारुति, हिंदुस्तान, प्रीमियर, टाटा और महिंद्रा. वहीं Daewoo सिर्फ तीन साल पहले Cielo के साथ भारतीय बाजार में प्रवेश किया था, जबकि फोर्ड, ओपल और होंडा जैसे ब्रांड ने तकरीबन एक साल पहले ही भारतीय बाजार में कदम रखा था.
मारुति, टाटा और महिंद्रा जैसे दिग्गज देशी ब्रांड के बीच पैठ बनाना हुंडई के लिए एक बड़ी चुनौती थी. नब्बे का दशक इंडियन ऑटो सेक्टर के लिए एक बड़े बदलाव का दौर था. मारुति 800, जे़न, टाटा सूमो, सफारी जैसी कारों ने बाजार में अच्छी पकड़ बना रखी थी. हालांकि उस समय बाजार में पैसेंजर व्हीकल सेग्मेंट में मारुति सुजुकी की मोनोपोली थी, क्योंकि टाटा और महिंद्रा जैसे ब्रांड्स ज्यादातर यूटिलिटी और कमर्शियल वाहनों पर फोकस कर रहे थें.
हुंडई की पहली कार:
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