नहीं मिल पाता IPO... क्या आपकी भी यही शिकायत? तो जान लें इसका A टू Z प्रोसेस
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IPO के तहत जितने शेयर जारी किए जाते हैं, उतने शेयरों के लिए आवेदन मिलने पर अलॉटमेंट प्रोसेस आसान होता है, लेकिन अगर कोई इश्यू ओवरसब्सक्राइब्ड होता है, तो फिर शेयर आवंटन का अलग तरीका अपनाया जाता है.
भारत में Initial Public Offering यानी IPO में निवेश करने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है. इस बीच एक के बाद एक छोटी-बढ़ी कंपनियां अपने इश्यू लॉन्च कर रही है. साल 2024 में आईपीओ के जरिए पैसे जुटाने के पुराने रिकॉर्ड भी टूटे हैं. लेकिन इस बीच सोशल मीडिया पर इन दिनों IPO Allotment ट्रेंडिंग कर रहा है, कई निवेशकों को शिकायत रहती है, कि उनका आईपीओ निकलता ही नहीं और निकलता भी है तो अच्छा वाला नहीं. यही नहीं कई अकाउंट से अप्लाई करने के बाद भी उन्हें मायूसी हाथ लगती है, तो ऐसे में सवाल उठने लगता है कि क्या कारण है कि उन्हें IPO अलॉट नहीं हो पा रहा, क्या कहीं कोई गड़बड़ी है? इसके लिए आईपीओ अलॉटमेंट प्रोसेस की ABCD समझना जरूरी है.
क्या है IPO अलॉटमेंट का सिस्टम? आईपीओ मार्केट में निवेश का क्रेज बढ़ने के साथ ही ये समस्या भी बढ़ती जा रही है. कई लोग तो ये शिकायत करते नजर आते हैं कि वो अर्से से बोली लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी तक कोई बढ़िया आईपीओ अलॉट नहीं हुआ. जबकि कई लोगों को पहली बार में ही कमाई वाला आईपीओ मिल जाता है. इससे सिस्टम पर नजर डालें, तो पहले तो ये जान लें कि जब कोई बड़ी या अच्छी कंपनी का इश्यू लॉन्च किया जाता है, तो आमतौर पर वो ओवरसब्सक्राइब्ड हो जाता है, मतलब जितने शेयरों के लिए कंपनी बोली मांगती है, उससे कई गुना ज्यादा आवेदन मिलते हैं, तो ऐसी स्थिति में आईपीओ अलॉटमेंट की प्रक्रिया अलग तरीके से होती है.
ओबरसब्सक्राइब्ड आईपीओ में ये नियम लागू दरअसल, अगर किसी IPO में जितने शेयर निवेशकों को ऑफर होते हैं, लॉट साइज के हिसाब से सिर्फ उतने ही आवेदन मिलते हैं, तो ऐसी स्थिति में करीब सभी निवेशकों को IPO Allot हो जाते हैं. लेकिन आईपीओ ओवरसब्सक्राइब होने पर मामला बदल जाता है और जिन रिटेल इन्वेस्टर्स को शेयर अलॉट होते हैं, उनकी संख्या अलॉटमेंट के लिए उपलब्ध इक्विटी शेयर्स की संख्या से विभाजित कर निकाली जाती है. यानी निवेशकों को अनुपातिक आधार पर ही शेयर आवंटित किए जाते हैं.
इस तरीके से IPO मिलना आसान अब इस समस्या के हल की बात करें, तो पहले जान लें सेबी ने जो नियम बनाए हैं, उसके मुताबिक, किसी भी आईपीओ में कम से कम एक लॉट के बोली लगानी होती है और इसी आधार पर रिटेल निवेशकों को आईपीओ अलॉटमेंट मिलता है. लेकिन ओबरसब्सक्राइब्ड में इसके चांस कम हो जाते हैं. इसलिए ध्यान रखें कि अच्छी कंपनियों के इश्यू में अधिक से अधिक लॉट में अप्लाई करना फायदेमंद रहता है और शेयर अलॉट होने की उम्मीद बढ़ जाती है.
अलॉटमेंट की ये प्रक्रिया आज के समय में कई लोग को अपने परिवार के सदस्यों के डीमैट अकाउंट्स के जरिए भी एक आईपीओ के लिए कई आवेदन कर लेते हैं. इस स्थिति में शेयर आवंटन की संभवाना बढ़ जाती है. क्योकि ओवरस्क्रिप्शन की स्थिति में ड्रॉ प्रोसेस से शेयरों का अलॉटमेंट होता है. मतलब अगर एक कंपनी का आईपीओ चार गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ है और उसे ऑफर किए गए शेयरों की तुलना में चार गुना एप्लीकेशंस मिले है, तो फिर एक शेयर के चार दावेदार होने पर आईपीओ का आवंटन कम्प्यूटरीकृत ड्रा या लॉटरी सिस्टम के माध्यम से किया जाता है.
ऐसे पता करें IPO अलॉटमेंट स्टेटस IPO Allotment Status पता करने का प्रोसेस आसान है और इसे आप BSE की वेबसाइट पर जाकर चेक कर सकते हैं कि आपको आईपीओ अलॉट हुआ है या नहीं. इसके लिए सबसे पहले BSE की आधिकारिक साइट पर जाएं. इसके बाद आईपीओ टाइप में इक्विटी और डेट ऑप्शन में से इक्विटी सेलेक्ट करें. ड्रॉपडाउन में आपना आईपीओ चुनें, फिर अलॉटमेंट स्टेटस चेक करने के लिए आवेदन संख्या या PAN नंबर डालें. पूरा डिटेल आपके सामने होगी.
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