पंजाब में केजरीवाल और राहुल गांधी कैसे एक दूसरे से बचने की कोशिश कर रहे हैं
AajTak
पंजाब में अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी एक दूसरे को टारगेट करना छोड़ कर पूरा जोर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगा रहे हैं - हां, कांग्रेस के क्षेत्रीय नेताओं का हाल अधीर रंजन चौधरी जैसा ही है, लेकिन उनके निशाने पर भगवंत मान नहीं, बल्कि अरविंद केजरीवाल हैं.
जैसे अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी दोनों के तीर पंजाब की धरती से एक ही निशाने पर जा रहे हैं, केंद्रीय मंत्री अमित शाह एक ही तीर से दोनों पर निशाने साध रहे हैं. लुधियाना पहुंचे अमित शाह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर कहा, '1 जून को केजरीवाल को जेल जाना है, और 6 जून को राहुल बाबा वेकेशन पर बैंकॉक जा रहे हैं.'
वैसे अरविंद केजरीवाल 1 जून तक अंतरिम जमानत पर हैं, लिहाजा 2 जून को सरेंडर करना है, लेकिन ये फैसला भी अभी सुप्रीम कोर्ट को करना है. क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत एक हफ्ते बढ़ाने की अर्जी डाली हुई है.
अरविंद केजरीवाल ने अंतरिम जमानत 7 दिन बढ़ाने के लिए अपनी सेहत का हवाला दिया है. केजरीवाल ने शक जताया है कि उनको कोई बड़ी बीमारी हो सकती है. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपनी याचिका में कहा है, ‘गिरफ्तारी के बाद मेरा वजन 7 किलो घटा है... मेरा कीटोन लेवल हाई है... किसी गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं... मैक्स के डॉक्टरों ने जांच की है, इसलिए मुझे PET-CT स्कैन और कई टेस्ट करवाने की जरूरत है.’
केजरीवाल और राहुल गांधी का पंजाब कैंपेन
दिल्ली में मतदान हो जाने के बाद अरविंद केजरीवाल के साथ साथ राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी पंजाब का रुख किया है, और अपने अपने हिसाब से वोट मांग रहे हैं. लेकिन तौर तरीका वही है जैसा 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के रोड शो के दौरान देखने को मिला था.
तब राहुल गांधी ने अरविंद केजरीवाल का उतना ही जिक्र किया था, जितना 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में बोला था. चलते चलते एक बार ममता और मोदी में कोई फर्क नहीं बोलकर वो केंद्र की मोदी सरकार पर फोकस हो गये थे, लेकिन दिल्ली में तो सारी हदें ही पार कर डाली थीं.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.