![न्यायिक काम में हस्तक्षेप कर रही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, इस्लामाबाद हाईकोर्ट के 6 जजों ने खुलेआम लगाया आरोप](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202403/66051ba5cce46-pakistan-islamabad-high-court-6-judges-letter-28262475-16x9.jpeg)
न्यायिक काम में हस्तक्षेप कर रही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, इस्लामाबाद हाईकोर्ट के 6 जजों ने खुलेआम लगाया आरोप
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इस्लामाबाद हाईकोर्ट के छह जजों ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों पर न्यायपालिका के कामकाज में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है. इस संबंध में न्यायिक परिषद से मदद की गुहार लगाई गई है.
पाकिस्तान (Pakistan) में इस्लामाबाद हाई कोर्ट (Islamabad High Court) के 6 जजों ने देश की शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों द्वारा न्यायपालिका के कामकाज में कथित हस्तक्षेप का आरोप लगाया है. इसके खिलाफ जजों ने पत्र लिखकर सर्वोच्च न्यायिक परिषद (Supreme Judicial Council) से हस्तक्षेप की मांग की है. 25 मार्च को लिखे गए पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले छह जजों में जस्टिस मोहसिन अख्तर कयानी, जस्टिस तारिक महमूद जहांगीरी, जस्टिस बाबर सत्तार, जस्टिस सरदार इजाज इशाक खान, जस्टिस अरबाब मुहम्मद ताहिर और जस्टिस समन रफत इम्तियाज शामिल हैं.
पत्र में सम्मेलन के माध्यम से न्यायपालिका की आजादी तय करने के लिए रुख अपनाने की भी वकालत की गई है. बता दें कि सुप्रीम जुडिशियल काउंसिल हाई कोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए ऑथराइज्ड सबसे बड़ी बॉडी है.
जजों ने पत्र में क्या कहा है?
जजों के द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि हम एक जज के कर्तव्य के संबंध में सुप्रीम जुडिशियल काउंसिल से मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए लिख रहे हैं, जिसमें कार्यपालिका के सदस्यों (जिनमें खुफिया एजेंसियों के संचालक भी शामिल हैं) के कार्यों की रिपोर्ट करना और उनका जवाब देना है, जो कामों में हस्तक्षेप करना चाहते हैं.
जजों के द्वारा लिखा गया यह पत्र न्यायिक मामलों में कार्यपालिका और एजेंसियों के हस्तक्षेप को उजागर करता है, जिसमें एक केस के संबंध में जज पर दबाव बनाने के लिए हाई कोर्ट के जज के बहनोई का अपहरण और यातना भी शामिल है.
जजों ने कहा कि हम यह भी देख रहे हैं कि SJC द्वारा जजों के लिए निर्धारित आचार संहिता इस बात पर कोई मार्गदर्शन नहीं देती है कि जजों को उन घटनाओं पर कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए या रिपोर्ट करनी चाहिए, जो धमकी जैसे हैं और न्यायिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करते हैं. पत्र में जजों ने कहा कि उनका मानना है, 'इस मामले की जांच करना और यह निर्धारित करना जरूरी है कि क्या राज्य की एक्जिक्यूटिव ब्रांच की तरफ से कोई पॉलिसी है, जिसे एक्जिक्यूटिव ब्रांच को रिपोर्ट करने वाले इंटेलिजेंस अधिकारियों द्वारा जजों को डराने-धमकाने के लिए लगाया जाता है.
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