नीट परीक्षा प्रक्रिया को चुनौती, याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट करेगा सुनवाई
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याचिका के मुताबिक कोर्ट में अर्जी दाखिल करने वालों के संज्ञान में पेपर लीक के कई मामले आए थे. उम्मीदवारों का तर्क है कि नीट का कथित पेपर लीक संविधान के अनुच्छेद 14 में वर्णित समानता के अधिकार का उल्लंघन है, क्योंकि इस हरकत ने कुछ उम्मीदवारों जिन्होंने निष्पक्ष तरीके से परीक्षा देने का विकल्प चुना था, उनके मुकाबले दूसरों को अनुचित लाभ मिला.
मेडिकल कॉलेज प्रवेश के लिए NEET परीक्षाओं में ग्रेस मार्क देने के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट अब अगले बुधवार को सुनवाई करेगा. जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए NTA की ओर से पेश वकील को इस मुद्दे पर जवाब दाखिल करने का और समय दिया. याचिका श्रेयांसी ठाकुर नाम की 17 वर्षीय छात्रा ने दाखिल की है कि ग्रेस मार्क देने का एनटीए का फैसला मनमाना है और हजारों छात्रों को प्रभावित कर रहा है.
पेपर लीक के कई मामले सामने आए याचिका के मुताबिक कोर्ट में अर्जी दाखिल करने वालों के संज्ञान में पेपर लीक के कई मामले आए थे. उम्मीदवारों का तर्क है कि नीट का कथित पेपर लीक संविधान के अनुच्छेद 14 में वर्णित समानता के अधिकार का उल्लंघन है, क्योंकि इस हरकत ने कुछ उम्मीदवारों जिन्होंने निष्पक्ष तरीके से परीक्षा देने का विकल्प चुना था, उनके मुकाबले दूसरों को अनुचित लाभ मिला. सिर्फ पेपरलीक ही नहीं परीक्षा को लेकर अभ्यर्थियों ने और भी कई तरह के आरोप लगाए हैं. इन सभी आरोपों पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने अपनी सफाई पेश करते हुए खुद को नीट एंड क्लीन बताते हुए अपना पक्ष रखा है.
NTA ने क्या कहा? एनटीए ने नीट परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों को दी गई हाई कटऑफ और प्रतिपूरक अंकों (Compensatory Marks)पर स्पष्टीकरण देते हुए एनटीए ने कहा कि इसके लिए हाईकोर्ट में कई रिट याचिकाएं दायर की गई थीं. इसमें पंजाब एवं हरियाणा, दिल्ली और छत्तीसगढ़ की अदालत ने परीक्षा में लॉस ऑफ टाइम पर चिंता जताई.
इसमें पांच मई को नीट यूजी के आयोजन के दौरान कुछ परीक्षा केंद्रों पर छात्रों को देरी हुई. एनटीए को प्रस्तुत की गई इन शिकायतों के निवारण के लिए सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद निर्णय लिया गया. एनटीए ने परीक्षा और शिक्षा के क्षेत्र के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों से मिलकर एक शिकायत निवारण समिति का गठन किया गया, ताकि ऐसी शिकायतों/अभ्यावेदनों पर विचार किया जा सके और अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की जा सकें.
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