'नाम में क्या रखा है?', बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए शेक्सपियर को किया कोट, जानें पूरा मामला
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जिलों के नाम बदलने के खिलाफ याचिकाओं में सरकार के फैसले को 'राजनीति से प्रेरित' बताया गया था. महाराष्ट्र सरकार ने याचिकाओं का विरोध करते हुए दावा किया था कि जगहों का नाम उनके इतिहास के कारण बदला गया है, न कि किसी राजनीतिक कारण से.
'नाम में क्या रखा है? जिसे हम गुलाब कहते हैं, किसी अन्य नाम से भी उसकी खुशबू उतनी ही अच्छी आएगी', शेक्सपियर के रोमियो और जूलियट का हवाला देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को जिलों का नाम बदलने, औरंगाबाद और उस्मानाबाद से क्रमशः छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव, के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को खारिज कर दिया.
बेंच ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की बेंच ने अपने फैसले में जूलियट का हवाला दिया. बेंच ने नामों की प्रकृति के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि एक नाम किसी भी चीज को नहीं बनाता है. भले ही गुलाब का नाम कुछ और रख दिया जाए लेकिन फूल की खुशबू नहीं बदलेगी, वह वही रहेगी. हालांकि याचिकाकर्ताओं ने इस पर असहमति जताई.
सरकार के फैसले को 'राजनीति से प्रेरित' बताया
नाम बदलने के खिलाफ याचिकाओं में सरकार के फैसले को 'राजनीति से प्रेरित' बताया गया था. महाराष्ट्र सरकार ने याचिकाओं का विरोध करते हुए दावा किया था कि दोनों स्थानों का नाम उनके इतिहास के कारण बदला गया है, न कि किसी राजनीतिक कारण से. 76 पेज के फैसले में पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता राज्य सरकार को किसी भी राजस्व क्षेत्र को खत्म करने और क्षेत्र का नाम बदलने की अनुमति देता है.
2022 में मिली नाम बदलने की मंजूरी
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