'धर्मनिरपेक्षता का मतलब जियो और जीने दो', SC ने यूपी मदरसा एक्ट मामले में फैसला सुरक्षित रखा
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि 'धर्मनिरपेक्षता का मतलब है जियो और जीने दो'. ये बातें सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहीं जिसमें उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 को असंवैधानिक ठहराया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि 'धर्मनिरपेक्षता का मतलब है जियो और जीने दो'. ये बातें सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहीं जिसमें उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 को असंवैधानिक ठहराया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर अपना निर्णय सुरक्षित रखा.
सभी धर्मों में धार्मिक निर्देश
इस मामले में दो दिन की सुनवाई के बाद सीजेआई डी वाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, 'हमें इसे देश के व्यापक दृष्टिकोण से देखना है - हिंदू, सिख, ईसाई आदि में धार्मिक निर्देश हैं. देश को संस्कृतियों, सभ्यताओं और धर्मों का मिश्रण होना चाहिए.' जस्टिस जे बी पारदीवाला ने वरिष्ठ वकील गुरुकृष्ण कुमार के तर्कों का जवाब देते हुए कहा, 'धर्म का अध्ययन संविधान द्वारा निषिद्ध नहीं है और यहीं पर आपका तर्क कि उन्हें मुख्यधारा की शिक्षा से वंचित किया जा रहा है, विफल होता है.'
मदरसा पाठ्यक्रम पर सवाल
वरिष्ठ वकील गुरुकृष्ण कुमार ने कहा, 'जो पाठ्यक्रम है वह केवल एक बूंद मात्र धर्मनिरपेक्ष शिक्षा का है. यही समस्या को बढ़ाता है.' इस पर सीजेआई ने कहा, "बौद्ध भिक्षुओं को कैसे प्रशिक्षित किया जाता है? अगर सरकार कहती है कि उन्हें कुछ धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रदान की जाए तो यह देश की भावना है.'
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