देहरादून: अब नहीं कटेंगे खलंगा युद्ध स्मारक के जंगलों के पेड़, विरोध के बाद CM धामी का फैसला
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उत्तराखंड के खलंगा रिजर्व फॉरेस्ट में पेड़ों की कटाई होनी थी. यहां पेयजल परियोजना से संबंधित कुछ निर्माण होने थे. इसके लिए पेड़ों की निशानदेही भी कर दी गई थी. हालांकि, स्थानीय लोग इसके विरोध में थे. आजतक ने पूरे मामले को कवर किया था. अब उत्तराखंड सरकार ने अपना फैसला बदल लिया है.
पर्यावरण प्रेमियों के भारी विरोध के चलते, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेशों के बाद खलंगा रिजर्व फॉरेस्ट के पेड़ नहीं काटने का निर्णय लिया गया है. पेयजल निगम ने इस क्षेत्र को छोड़ दिया है और अब मालदेवता के निकट कनार काटा गांव में भूमि चिह्नित की गई है.
सौंग बांध की पेयजल परियोजना के लिए खलंगा रिजर्व फॉरेस्ट में पेड़ों पर निशान लगाए गए थे, जिसके बाद पर्यावरण प्रेमी विरोध में उतर आए थे. यहां करीब 2000 पेड़ काटे जाने थे. पिछले महीने आजतक ने ग्राउंड रिपोर्ट के जरिए पूरे मामले को कवर किया था, पड़ताल और आम लोगों से भी बातचीत की थी.
भारी विरोध के बाद, पेयजल निगम ने इस जमीन पर अपना दावा छोड़ दिया है. मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद, पेयजल निगम ने अब देहरादून में कनार काटा गांव के स्थान को चिह्नित किया है. बताया गया है कि क्षेत्र में वन भूमि का हस्तांतरण जल्द किया जाएगा.
क्यों काटे जाने थे पेड़?
करीब 3000 करोड़ रुपये की सौंग बांध परियोजना में 524 करोड़ रुपये की पेयजल परियोजना शामिल है. इसके लिए सौंग बांध के नजदीक ऊंचाई वाले स्थान पर एक रिजर्व वेयर बनाया जाएगा. पेयजल निगम को सात हेक्टेयर जमीन की जरूरत है, जिसमें 4.2 हेक्टेयर भूमि पर 150 एमएलडी का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनेगा. कनार गांव से राजधानी के 60 वार्डों में पेयजल की आपूर्ति की जाएगी.
पेयजल निगम के इंजीनियर ने क्या कहा?
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