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देवी पार्वती के उस श्राप की कहानी, जिसके कारण प्रयागराज कभी कहलाता था इलावास
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प्रयागराज में महाकुंभ-2025 का आयोजन हो रहा है. इस प्रयागराज को अलग-अलग समय पर अलग-अलग नामों से सराहा गया है. पौराणिक इतिहास में इसका एक नाम इलावास भी दर्ज है. तीर्थराज को ये नाम मिलने की कहानी बड़ी दिलचस्प है और इसकी वजह देवी पार्वती का दिया एक श्राप है. ये उस राजा की कहानी है जो पार्वती के श्राप से स्त्री बन गया और इला कहलाया था.
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प्रयागराज में माघ पूर्णिमा के अवसर पर करीब 2 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान शासन-प्रशासन हर मोर्चे पर चौकस रहा. योगी आदित्यनाथ ने सुबह 4 बजे से ही व्यवस्थाओं पर नजर रखी थी. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण ट्रेनों और बसों में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा. देखें.
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हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास में शुक्ल पक्ष का 15वीं तिथि ही माघ पूर्णिमा कहलाती है. इस दिन का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से खास महत्व है और भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. लोग घरों में भी कथा-हवन-पूजन का आयोजन करते हैं और अगर व्यवस्था हो सकती है तो गंगा तट पर कथा-पूजन का अलग ही महत्व है.