'दुविधा में हूं, क्या चुनूं? रायबरेली या...,' राहुल गांधी के सवाल पर वायनाड की जनता ने दिया ये जवाब
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस बार भी आम चुनाव में दो सीटों से चुनाव लड़े हैं. उन्होंने केरल की वायनाड और यूपी रायबरेली सीट से चुनाव लड़ा और जबरदस्त मार्जिन से जीत हासिल की है. राहुल इससे पहले 2014 में भी वायनाड और यूपी की अमेठी सीट से चुनाव लड़े थे. हालांकि, वो अमेठी में हार गए थे और वायनाड की जनता ने उन्हें सांसद चुनकर लोकसभा भेजा था. इस बार भी दो सीटों पर चुनाव लड़े और दोनों पर जीत हासिल की.
केरल की वायनाड से लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी बुधवार को यहां जनता से सीधे मुखातिब हुए. उन्होंने पहले लोगों को धन्यवाद दिया और फिर लगे हाथ यह भी पूछ लिया कि वो कहां से सांसद रहें? राहुल का कहना था कि मैं दुविधा में हूं, क्या चुनूं? रायबरेली या वायनाड? इस बीच भीड़ ने जवाब दिया कि वायनाड. उसके बाद राहुल ने कहा, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मेरे फैसले से वायनाड और रायबरेली दोनों खुश होंगे. मैं वादा करता हूं. सभी तरह के समर्थन के लिए धन्यवाद करता हूं और मैं जल्द ही आपसे फिर मिलने आऊंगा. दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस बार भी आम चुनाव में दो सीटों से चुनाव लड़े हैं. उन्होंने केरल की वायनाड और यूपी रायबरेली सीट से चुनाव लड़ा और जबरदस्त मार्जिन से जीत हासिल की है. राहुल इससे पहले 2014 में भी वायनाड और यूपी की अमेठी सीट से चुनाव लड़े थे. हालांकि, वो अमेठी में हार गए थे और वायनाड की जनता ने उन्हें सांसद चुनकर लोकसभा भेजा था. इस बार भी दो सीटों पर चुनाव लड़े और दोनों पर जीत हासिल की. नियमों के मुताबिक, राहुल एक सीट से ही सांसद रह सकते हैं. ऐसे में उन्हें किसी एक सीट से इस्तीफा देना पड़ेगा.
कांग्रेस और राहुल गांधी के सामने संकट यह भी है कि एक सीट (रायबरेली) गांधी परिवार की पारंपरिक और गढ़ मानी जाती है तो दूसरी सीट (वायनाड) की जनता ने उस समय राहुल को अपनाया, जब वो खुद की परंपरागत सीट (अमेठी) से चुनाव हार गए थे. ऐसे में वो दोनों सीटों के वोटर्स से सीधे जुड़ाव महसूस करते हैं. फिलहाल, राहुल जिस सीट से इस्तीफा देंगे, वहां उपचुनाव होंगे और कांग्रेस के मौका रहेगा कि वहां वो अपने उम्मीदवार को उतारकर जिताने की कोशिश करेगी.
बुधवार को वायनाड पहुंचे राहुल गांधी ने कहा, इस चुनाव में नफरत को प्यार से हराया गया है. विनम्रता से अहंकार पराजित हुआ है. दरअसल सच तो यह है कि प्रधानमंत्री वाराणसी में हारने से बाल-बाल बचे हैं. अयोध्या में बीजेपी की हार हुई तो अयोध्या के लोगों ने भी संदेश दिया है कि हम हिंसा और नफरत का समर्थन नहीं करते हैं. मैं आपको बता सकता हूं कि दिल्ली में बनी सरकार एक अपंग सरकार है. विपक्ष ने बीजेपी को बड़ा झटका दिया है. आप देखेंगे कि नरेंद्र मोदी का रवैया भी बदलेगा. क्योंकि भारत के लोगों ने उन्हें एक संदेश भेजा है.
अब मेरे सामने एक बड़ी दुविधा है...
राहुल गांधी ने कहा, विपक्ष के रूप में हमारी भूमिका जारी रहेगी. अब मेरे सामने एक बड़ी दुविधा है. सवाल यह है कि मैं वायनाड का सांसद रहूं या रायबरेली का? हालांकि मैं पीएम मोदी की तरह भगवान द्वारा निर्देशित नहीं हूं. मैं तो एक साधारण मनुष्य हूं. मेरे भगवान भारत के गरीब लोग हैं. मेरे भगवान वायनाड के लोग हैं. मुझे अपने लोगों से बात करनी है और तय करना है कि आगे क्या करना है? सवाल पर वापस आते हैं. मैं वायनाड का सांसद रहूं या रायबरेली? भीड़ से आवाज आई कि वायनाड.
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