दिल्ली में शराब संकट! कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन है, सॉल्यूशन कुछ पता नहीं...
AajTak
दिल्ली में शराब संकट के बीच कंफ्यूजन ही कंफ्यूजन है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शराब की निजी दुकानों के आबकारी लाइसेंस को एक महीने के लिए बढ़ाने की मंजूरी तो दे दी है, लेकिन कंफ्यूजन के चलते नुकसान के पूरे चांस हैं.
आज उतनी भी मयस्सर नहीं मय-ख़ाने में जितनी कि छोड़ दिया करते थे पैमाने में...
दिल्ली के शराब संकट पर ये शेर सटीक बैठता है. राजधानी में बड़े-बड़े ठेकों का शटर डाउन है. बार, पब और रेस्त्रां में भी शराब नहीं परोसी जा रही है. आलम ये है कि दिल्लीवालों को शराब के लिए नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. इस घमासान के बीच भले उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शराब की निजी दुकानों के साथ-साथ होटल और बार के आबकारी लाइसेंस को एक महीने के लिए बढ़ाने की मंजूरी दे दी हो, लेकिन कंफ्यूजन के चलते नुक़सान के पूरे योग बन रहे हैं.
नई शराब नीति की मियाद बढ़ने के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगस्त में शराब पर डिस्काउंट-ऑफर मिलेगा या नहीं. ब्रांडेड शराब पर ऑफर की जो लत दिल्लीवालों को लगी थी, वो क्या सियासी लड़ाई की भेंट चढ़ जाएगी? क्या एक फुल बोतल पर एक फ्री पाना फिर से ख्वाब बन जाएगा? आधे दाम में मिलने वाली बीयर के लिए पर्स से 100 की पत्ती निकालनी पड़ेगी? ऐसे तमाम सवाल शराब के शौकीनों के हैं. सरकार के राजस्व पर भी विपरीत असर, कारोबार में मंदी, लाइसेंस का लफड़ा (एक महीने बाद क्या होगा), पब-बार के धंधे पर चोट की बातें भी कही जा रही हैं.
ड्राई डे तक की नौबत आ गई….
लाइसेंस के अभाव में राजधानी में सोमवार को अनौपचारिक तौर पर ड्राई डे की नौबत आ गई. अब कहा जा रहा है कि अगर लाइसेंस की मियाद बढ़ाई गई है तो शराब की दुकान में स्टॉक की कमी की दुहाई दी जाएगी. स्टॉक की शॉर्टेज अगर होती है तो आने वाले दिनों में शराब की कालाबाजारी शुरू हो सकती है. फिलहाल दिल्ली के अधिकतर ठेकों पर ताले लग चुके हैं. सरकारी ठेके नई नीति के चलते पहले से ही बंद हैं.
बीते साल नवंबर में आई थी नई नीति
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.