दिल्ली में यमुना से ज्यादा उफान पर सियासत, कैमरे के सामने ही भिड़ गए एलजी और AAP के मंत्री
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शुक्रवार को मंत्री सौरभ भारद्वाज ने नौकरशाहों पर शहर में बाढ़ की स्थिति में मदद करने के उनके अनुरोधों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था. इससे पहले दिन में, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मंत्री आतिशी मार्लेना के साथ पत्रकारों को संबोधित करते समय दोनों के बीच कैमरे पर बहस हुई.
राजधानी दिल्ली में जहां एक तरफ यमुना के बढ़ते जलस्तर और कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति के कारण परेशानी का आलम है तो वहीं इस बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है. दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शुक्रवार को आप मंत्री सौरभ भारद्वाज पर तल्ख टिप्पणी करते हुए उन पर अज्ञानता और राजनीति से प्रेरित व्यवहार करने का आरोप लगाया. शुक्रवार को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मंत्री बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने निकले थे. इस दौरान मीडिया के सामने NDRF की तैनाती को लेकर मंत्री सौरभ भारद्वाज ने शिकायत की थी. इसपर LG ने कहा कि ब्लेम गेम में न जाएं, इससे परेशानी होगी.
सौरभ भारद्वाज ने लगाया था अनदेखी का आरोप दरअसल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने नौकरशाहों पर शहर में बाढ़ की स्थिति में मदद करने के उनके अनुरोधों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था. इससे पहले दिन में, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मंत्री आतिशी मार्लेना के साथ पत्रकारों को संबोधित करते समय दोनों के बीच कैमरे पर बहस हुई. दिल्ली के उपराज्यपाल को टोकते हुए भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने बुधवार रात शहर के मंडलायुक्त अश्विनी कुमार से आईटीओ क्षेत्र में बाढ़ का कारण बने क्षतिग्रस्त नाले की मरम्मत में सहायता के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) को बुलाने का अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया.
भारद्वाज ने कहा, "एनडीआरएफ अब आ गई है और मैं आभारी हूं, लेकिन अगर वे कल रात आते तो बेहतर होता." इंद्रप्रस्थ के पास एक ड्रेन रेगुलेटर क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके बाद आईटीओ और राजघाट क्षेत्र जलमग्न हो गए. वहीं WHO बिल्डिंग के पास ड्रेन नंबर 12 का रेगुलेटर गुरुवार को टूट गया.
बाढ़ के बीच उठा अध्यादेश का मुद्दा AAP ने केंद्र के दिल्ली अध्यादेश के जवाब में देरी को जिम्मेदार ठहराया और कहा, "अध्यादेश के बाद, अधिकारी उपराज्यपाल के अधीन आते हैं और अब वे केवल उपराज्यपाल का पालन करते हैं. अगर कोई अन्य राज्य होता, तो इन अधिकारियों को सरकार के आदेशों की अवहेलना करने और लोगों की जान खतरे में डालने के लिए बर्खास्त कर दिया गया होता और जेल में डाल दिया गया होता"
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