दिल्ली में किस नियम से बंद की मीट की दुकानें? अल्पसंख्यक आयोग का तीनों MCD मेयर को नोटिस
AajTak
Delhi Latest News: दक्षिणी दिल्ली के मेयर सूर्यान ने कहा था कि चूंकि नवरात्र के दौरान दिल्ली के 99 फीसदी घरों में यहां तक कि लहसून-प्याज तक नहीं खाया जाता है, इसलिए हमने दक्षिण दिल्ली में मांस की दुकानें बंद रखने का फैसला किया है.
नवरात्रि के मौके पर दिल्ली में कई जगहों पर मीट की बिक्री पर रोक लगाने के मामले में अल्पसंख्यक आयोग ने एक्शन लिया है. दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने राजधानी दिल्ली के तीनों नगर निगमों के मेयर्स और एमसीडी कमिश्नर को नोटिस भेजा है. इस नोटिस में एमसीडी मेयर और एमसीडी कमिश्नर से पूछा गया है कि उन्होंने किन नियमों के तहत नवरात्रों के दौरान मीट की दुकानों पर बैन लगाने के आदेश/निर्देश जारी किए.
दरअसल, नवरात्रि से पहले दक्षिणी दिल्ली के मेयर ने मीट बैन को लेकर आदेश जारी किया था. दक्षिणी दिल्ली के मेयर मुकेश सूर्यन ने संबंधित अधिकारियों को नवरात्रि तक मीट की दुकानों को बंद रखने के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश दिए थे.
उन्होंने कहा था कि नवरात्रि के दिनों में लोग हर रोज मंदिर जाते हैं. ऐसे में मंदिर के रास्ते में आने वाली मीट की दुकानों को भी खोलना उचित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि मंदिर के आसपास साफ-सफाई रखना भी जरूरी है.
संसद में भी गूंजा था मुद्दा
दिल्ली में मीट बैन का मुद्दा संसद में गूंजा था. तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा, 'वह दक्षिण दिल्ली में ही रहती हैं और संविधान उन्हें जब मर्जी हो तब मीट खाने की इजाजत देता है. इस मामले को नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी तंज कसा था.
उमर अब्दुल्ला ने कहा था, 'रमजान के दौरान हम (मुसलमान) सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बीच खाना नहीं खाते हैं. अगर इस दौरान हम सभी नॉन-मुस्लिम निवासियों और टूरिस्टों को पब्लिक में खाने से ही बैन कर दें. तो मेरे हिसाब से ये भी ठीक रहेगा. खासतौर से उन इलाकों में जहां मुसलमानों की आबादी ज्यादा है. अगर साउथ दिल्ली में बहुसंख्यकवाद सही है, तो जम्मू-कश्मीर में भी इसे सही माना जाना चाहिए.'
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.