'दबदबा तो रहेगा...', WFI चुनाव में संजय सिंह की जीत के बाद बृजभूषण के बेटे ने शेयर की तस्वीर
AajTak
आज दिल्ली में WFI के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, महासचिव और वरिष्ठ उपाध्यक्ष समेत 15 पदों के लिए चुनाव हुए. भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद के लिए राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण और उत्तर प्रदेश कुश्ती महासंघ के उपाध्यक्ष संजय सिंह के बीच रेस थी.
WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के सहयोगी संजय सिंह को भारतीय कुश्ती महासंघ का नया अध्यक्ष चुना गया है. कई बार स्थगन के बाद भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव आज संपन्न हुए. मतदान दिन में नई दिल्ली में हुआ और मतदान प्रक्रिया समाप्त होने के तुरंत बाद गिनती शुरू हुई. इसी बीच बृजभूषण के बेटे प्रतीक भूषण सिंह की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. प्रतीक भूषण ने WFI चुनाव के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है. इसमें एक का पर पोस्टर लगा हुआ है. जिस पर लिखा है- दबदबा तो रहेगा. हालांकि चुनाव से पहले बृजभूषण शरण सिंह ने भी दावा किया था कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष संजय सिंह ही बनेंगे
आज दिल्ली में WFI के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, महासचिव और वरिष्ठ उपाध्यक्ष समेत 15 पदों के लिए चुनाव हुए. भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद के लिए राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण और उत्तर प्रदेश कुश्ती महासंघ के उपाध्यक्ष संजय सिंह के बीच रेस थी. लेकिन संजय सिंह का पलड़ा भारी पड़ा.
बता दें कि अनीता श्योराण हरियाणा से हैं. अनीता ने पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में भी बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ भी गवाही दी थी. अनीता कुश्ती के मैदान में भी बड़ी सफलता हासिल कर चुकी हैं, उन्होंने 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था. उन्हें साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगट सहित स्टार पहलवानों का समर्थन प्राप्त था.
दूसरी ओर संजय सिंह बृज भूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी रहे हैं, उन्होंने कुश्ती के गौरवशाली दिनों को वापस लाने का वादा किया है. हालांकि पहलवान साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया समेत अन्य रेसलर्स को संजय सिंह के चुनाव लड़ने पर आपत्ति थी, क्योंकि उन्होंने महीने की शुरुआत में खेलमंत्री अनुराग ठाकुर के साथ अपनी बैठक के दौरान इसे व्यक्त भी किया था.
WFI के चुनाव ये रहे परिणाम
अध्यक्ष - संजय सिंह अध्यक्ष
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.