
तालिबान का डर या साथ? अफगान लोगों को शरण नहीं दे रहा 93% मुस्लिम आबादी वाला ये पड़ोसी देश
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आम हो या खास, जिसे जहां रास्ता मिल रहा है वो वहां से निकलकर बस अफगानिस्तान की सरहद लांघ देना चाहता है. कुछ लोग पड़ोसी मुल्क उज्बेकिस्तान की तरफ भी गए लेकिन यहां बॉर्डर पर बना फ्रेंडशिप ब्रिज भी इन लोगों को पार न करा सका.
अफगानिस्तान में तालिबान का राज कायम होते ही पूरे मुल्क में हलचल पैदा हो गई है. यहां के लोग उस भयावह अतीत को याद कर रहे हैं जो उन्होंने तालिबान के जुल्म के रूप में झेला है. शायद यही वजह है कि 15 अगस्त को जब काबुल तक तालिबान का कब्जा हो गया तो लोग वहां से भागने लगे. एयरपोर्ट पर किसी मेले जैसा मंजर दिखाई दिया. खौफजदा लोग चलते हुए प्लेन के पहियों पर लटक गए और पूरी दुनिया ने आसमान से गिरते अफगान लोगों को मौत के मुंह जाते देखा.
पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने गुरुवार को बलूचिस्तान के दौरे पर पहुंचे हैं, जहां उन्होंने कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की. पाकिस्तानी सेना का दावा है कि उसने रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया है तो दूसरी ओर बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) का कहना है कि ISPR द्वारा किए गए दावे झूठे हैं और पाक हार को छिपाने की नाकाम कोशिश कर रहा है.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.