तमिलनाडु: कानून में बदलाव, जहरीली शराब से हुई मौत तो तस्करों को होगी आजीवन जेल की सजा
AajTak
तमिलनाडु में कल्लकुरिची शराब त्रासदी के कुछ दिनों बाद राज्य सरकार ने शनिवार को निषेध अधिनियम में संशोधन करते हुए सजा में काफी वृद्धि की है. अब जहरीली शराब के सेवन के बाद मौत के मामले में शराब तस्करों के लिए आजीवन कारावास की सजा होगी. तमिलनाडु में पिछले दिनों जहरीली शराब पीने से 63 लोगों की जान चली गई थी.
तमिलनाडु में कल्लकुरिची शराब त्रासदी के कुछ दिनों बाद राज्य सरकार ने शनिवार को निषेध अधिनियम में संशोधन करते हुए सजा में काफी वृद्धि की है. अब जहरीली शराब के सेवन के बाद मौत के मामले में शराब तस्करों के लिए आजीवन कारावास की सजा होगी. तमिलनाडु में पिछले दिनों जहरीली शराब पीने से 63 लोगों की जान चली गई थी.
न्यूज एजेंसी के अनुसार, राज्य सरकार ने तमिलनाडु निषेध अधिनियम, 1937 में संशोधन करके जीवन को खतरे में डालने वाली अवैध शराब बनाने, इसके कब्जे और बिक्री जैसे अपराधों के लिए सजा की अवधि और जुर्माने की राशि बढ़ा दी है. तमिलनाडु निषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 सरकार की ओर से नोटिफाई करने की तारीख से लागू हो जाएगा. संशोधन अधिनियम की धारा 4,5,6,7 और 11 के तहत विभिन्न अपराधों के लिए जेल की अवधि और जुर्माने की राशि में काफी वृद्धि करता है.
10 लाख रुपये का जुर्माना भी शामिल इसके अनुसार, संशोधन में अधिकतम 10 साल की जेल (आरआई) की सजा और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना शामिल है. अवैध शराब के सेवन से मृत्यु होने की स्थिति में शराब तस्करों को आजीवन कारावास की सजा और कम से कम 10 लाख रुपये का जुर्माना होगा.
विपक्ष ने की CBI जांच की मांग कुछ दिन पहले कल्लाकुरिची शराब त्रासदी में महिलाओं और एक ट्रांसजेंडर सहित करीब 63 लोगों की मौत हो गई थी. मामला सामने आने के बाद DMK मुख्य विपक्षी दल, AIADMK और भाजपा के निशाने पर आ गई थी. विपक्षी पार्टियां जहरीली शराब मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही हैं.
इस सप्ताह की शुरुआत में AIADMK के सदस्यों को सदन में इस मुद्दे पर कथित रूप से हंगामा करने की कोशिश करने के लिए विधानसभा के शेष सत्र से निलंबित कर दिया गया था. शनिवार को कांग्रेस विधायक दल के नेता के सेल्वापेरुन्थगई ने सरकारी विधेयक का समर्थन करते हुए व्यवस्था में जांच और संतुलन रखने का सुझाव दिया.
पीएमके के जी के मणि ने सरकार से मांग की कि वह शराब त्रासदी के लिए पुलिस या विशेष अधिकारी पर जिम्मेदारी तय करे और राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू करने के लिए कदम उठाए. मंत्री एस मुथुसामी की ओर से पेश विधेयक को बाद में सदन ने पारित कर दिया.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.