ड्रग्स और अवैध खनन के खिलाफ ED का एक्शन, छापेमारी के दौरान 4 करोड़ कैश और मोबाइल फोन जब्त
AajTak
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बयान में कहा कि तलाशी अभियान के दौरान विभिन्न आपत्तिजनक साक्ष्य, दस्तावेज, मोबाइल फोन, लैपटॉप और 4.06 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई है.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पंजाब में एक अवैध खनन संचालक और उसकी कंपनी के खिलाफ छापेमारी के दौरान 4.06 करोड़ रुपये की नकदी और अन्य अपराधी साक्ष्य जब्त किए हैं. यह कार्रवाई राज्य के कुख्यात ड्रग माफिया जगदीश सिंह उर्फ भोला के ठिकानों पर अंजाम दी गई.
ईडी की ओर से बुधवार को रूपनगर (रोपड़ जिला), होशियारपुर, मंडी गोबिंदगढ़ (फतेहगढ़ साहिब जिला) और हिमाचल प्रदेश के ऊना में 14 आवासीय और व्यावसायिक परिसरों में तलाशी अभियान शुरू किया गया था. पीटीआई के मुताबिक, संघीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि तलाशी अभियान के दौरान विभिन्न आपत्तिजनक साक्ष्य, दस्तावेज, मोबाइल फोन, लैपटॉप और 4.06 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई है.
ईडी के मुताबिक, मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला पंजाब पुलिस की एक एफआईआर से जुड़ा है, जो खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई थी. ईडी ने आरोप लगाया कि श्री राम स्टोन क्रशर के मालिक नसीब चंद, ईडी द्वारा पहले ही ड्रग्स मामले में जब्त की गई भूमि पर अवैध खनन कर रहे थे.
ईडी ने दावा किया है कि नसीब चंद रोपड़ जिले के कुछ इलाकों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन कर रहे थे और जांच के दौरान अवैध खनन में शामिल अन्य लोगों और संस्थाओं के बीच धन के हस्तांतरण से संबंधित विभिन्न लेन-देन सामने आए हैं.
भोला से जुड़ा ड्रग्स मनी-लॉन्ड्रिंग का मामला करोड़ों रुपये के सिंथेटिक नारकोटिक्स रैकेट से संबंधित है, जिसका खुलासा पंजाब में 2013-14 में हुआ था. इस मामले को आमतौर पर भोला ड्रग्स केस के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इसमें कथित किंगपिन पहलवान से पुलिसकर्मी और फिर ड्रग माफिया बने जगदीश सिंह उर्फ भोला को माना जाता है.
आपको बता दें कि जगदीश सिंह उर्फ भोला को जनवरी 2014 में ईडी ने गिरफ्तार किया था. और अब यह मामला फिलहाल पंजाब में धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत में सुनवाई के लिए लंबित है.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.