डोनाल्ड ट्रंप vs कौन? अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में Biden को रिप्लेस कर सकते हैं ये 6 चेहरे
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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले उम्मीदवारों के बीच बहस होती है. इस बार प्रेसिडेंट जो बाइडेन के सामने डोनाल्ड ट्रंप थे. डिबेट में बाइडेन लगातार कमजोर नजर आए. तब से चर्चा है कि उन्हें राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से हटाकर दूसरा चेहरा लाया जा सकता है. जानिए, इनमें से कौन हो सकता है डेमोक्रेट्स की तरफ से अगला दावेदार, जो ट्रंप को टक्कर दे सके.
यूएस प्रेसिडेंट जो बाइडेन के कई वीडियो वायरल होते रहे, जिसमें उनका अपने शरीर पर काबू कम दिखता है. ये तक कहा जा रहा है कि उम्रदराज बाइडेन अब इतनी बड़ी जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार नहीं. हाल में हुई राष्ट्रपति पद के लिए बहस ने भी इस बात पर जोर दिया. बाइडेन अपने विपक्षी डोनाल्ड ट्रंप से कमजोर नजर आ रहे थे. अब कयास हैं कि बाइडेन की जगह डेमोक्रेट्स कोई दूसरा मजबूत कैंडिडेट ला सकते हैं.
बाइडेन को पार्टी ने अब तक राष्ट्रपति पद के लिए अपना आधिकारिक उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. अगस्त में इसका एलान होना है. मतलब इसकी गुंजाइश है कि राष्ट्रपति पद के लिए बहस में हिस्सा लेने के बावजूद बाइडेन को रिप्लेस किया जा सकता है.
अगले महीने होगा आधिकारिक एलान
शिकागो में होने वाली बैठक में इसके लिए वोटिंग होगी, जिसमें कुल सात सौ पार्टी सदस्य हिस्सा लेंगे. डेमोक्रेट्स की मेजोरिटी जिस तरफ होगी, उसी चेहरे को पार्टी का उम्मीदवार माना जाएगा. अगस्त के आखिर में होने वाली इस वोटिंग के बाद उनके पास मुश्किल से ढाई महीने होंगे, जब वे नए कैंडिडेट का प्रचार कर सकेंगे. दूसरी तरफ रिपब्लिकन्स ने पूरी तरह से डोनाल्ड ट्रंप पर यकीन जताया है. वे लंबे समय से इसके लिए प्रचार कर रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि डेमोक्रेट्स के लिए जंग मुश्किल हो सकती है. खेल शुरू होने से पहले हारा हुआ महसूस करते डेमोक्रेट्स की घबराहट दिख भी रही है. पार्टी के सांसद लॉयड डोगेट ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि बाइडेन को अपना नाम उम्मीदवारी से वापस ले लेना चाहिए.
कौन से चेहरे हो सकते हैं दावेदार गैविन क्रिस्टोफर न्यूसम एक बिजनेसमैन होने के अलावा मंजे हुए पॉलिटिशियन हैं. फिलहाल कैलिफोर्निया के गवर्नर न्यूसम ने हालांकि बाइडेन के रिप्लेसमेंट को मूर्खता करार देते हुए कहा था कि ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन 56 साल के इस व्यावसायी को बड़े दावेदार की तरह देखा जा सकता है.
1991 में गल्फ वॉर की समाप्ति ने ईरान और इज़रायल के बीच खुली दुश्मनी के युग की शुरुआत की. सोवियत संघ के पतन और एकमात्र महाशक्ति के रूप में अमेरिका के उदय ने इस क्षेत्र को और अधिक पोलराइज्ड कर दिया. वहीं, ईरान और इज़रायल ने खुद को लगभग हर प्रमुख जियो-पॉलिटिकल विमर्श में एक दूसरे के खिलाफ पाया. 1980 के दशक में शुरू हुआ ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम 1990 के दशक से विवाद का केंद्र बन गया.