
डेढ़ साल की पुख्ता तैयारी, सुसाइड बॉम्बर और एक चूक... ऐसे बचा भारत का मोस्ट वॉन्टेड आतंकी हाफिज सईद
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26/11 के गुनहगार को उसी के घर में मारने की सारी तैयारी पूरी हो चुकी थी. प्लान इतना सटीक था कि उसके बचने की कोई गुंजाइश ही नहीं थी. मगर ऐन वक्त पर कोरोना आ गया और कोरोना से हुई एक मौत ने सारा खेल बिगाड़ दिया.
उसने भारत को सबसे ज्यादा जख्म दिए. ये वही है, जो 26/11 के हमले का गुनहगार है. उसी ज़ालिम को उसी के घर में मारने की सारी तैयारी पूरी हो चुकी थी. प्लान इतना सटीक था कि उसके बचने की कोई गुंजाइश ही नहीं थी. मगर ऐन वक्त पर कोरोना आ गया और कोरोना से हुई एक मौत ने सारा खेल बिगाड़ दिया. टारगेट था भारत का मोस्ट वॉन्टेड आतंकी हाफिज सईद. हम आपको बताने जा रहे हैं, उसी नाकाम ऑपरेशन की पूरी कहानी.
ऑपरेशन हाफ़िज़ सईद
इस ऑपरेशन को कहानी आपको सिलसिलेवार तरीके से बताएं, उससे पहले आपको बता दें कि 23 जून 2021 को लाहौर के जौहर टाउन में लश्कर चीफ़ हाफिज़ सईद के घर पर हमला हुआ था. पाकिस्तानी अथॉारिटी ने इल्ज़ाम लगाया था कि हाफि़ज़ सईद को मारने की साज़िश के पीछे भारतीय एजेंसियों का हाथ था. पाकिस्तान ने इस हमले के पीछे बबलू श्रीवस्तव का हाथ होने की भी बात कही थी. हालांकि भारत ने इस आरोप को सरासर ग़लत बताया था. बाद में पाकिस्तान ने इस सिलसिले में कुल पांच लोगों को गिरफ़्तार किया था. जो सभी पाकिस्तानी थे. उनमें से चार को फांसी की सज़ा दी गई है. ये कहानी उसी ऑपरेशन हाफ़िज़ सईद की है. इस ऑपरेशन को पूरा करने में डेढ़ साल का वक्त लगा था.
17 जुलाई 2019 यही वो तारीख थी, जब लश्कर के सरगना हाफिज सईद को पाकिस्तानी ऑथोरिटी ने गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद सईद को जेल भेज दिया गया था. कुछ वक्त बीतने के बाद खबर आई कि हाफिज सईद की गिरफ्तारी अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की आंखों में धूल झोंकने की एक कोशिश भर थी. असली खबर ये थी कि हाफिज सईद लाहौर के जौहर टाउन में अपने घर में ही मौजूद था.
साल 2020, दुबई वहां एक मीटिंग होती है. मीटिंग का मकसद था, हाफिज सईद को ठिकाने लगाना. वो भी उसी के घर में. यानी लाहौर के जौहर टाउन में. पर काम मुश्किल था. जौहर टाउन में जिस जगह हाफिज सईद का घर है, वहां तक किसी बाहरी शख्स का पहुंचना लगभग नामुमकिन था. अब यहीं से इस मुश्किल को आसान करने के प्लान की शुरुआत होती है. सबसे पहले दुबई की जेलों में बंद ऐसे पाकिस्तानियों की खोज शुरू होती है, जो हल्के फुल्के जुर्म के मामलों में जेल में बंद हैं. जिनका पाकिस्तान में कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है. तलाश खत्म होती है, नवेद नाम के एक पाकिस्तानी पर.
नवेद को जेल से छुड़ाया ऑपरेशन में शामिल टीम में से एक शख्स जेल में नवेद से मिलता है. ये शख्स खुद को भी पाकिस्तानी बताता है. कुछ मुलाकातों के बाद वो नवेद को जेल से छुड़ा लेता है. अब नवेद उस शख्स के अहसान तले दब जाता है. इसके बाद मौका देखते ही वो शख्स नवेद से कहता है कि तुम पाकिस्तान लौट जाओ और अपना बिजनेस शुरू करो, पार्टनरशिप में. नवेद ऑफर कबूल कर लेता है और पाकिस्तान पहुंच जाता है. डील के हिसाब से बिजनेस में नवेद की हिस्सेदारी 25 फीसदी और ऑपरेशन सईद में शामिल उस शख्स की हिस्सेदारी 75 फीसदी थी.

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