
डर...सपने...भविष्य की चिंता! जानिए तालिबानी शासन पर क्या बोलीं बॉक्सर, सिंगर और पत्रकार
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अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान अब पूरी तरह से काबिज हो गया है. तालिबानी राज में दुनियाभर के देश चिंतित हैं कि वहां महिला अधिकारियों का बुरा हश्र होने वाला है. अफगानिस्तान में काम कर रही तीन अलग-अलग क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं ने तालिबान शासन में अपनी आशंकाएं दुनिया के सामने रखी हैं.
जब 15 अगस्त को काबुल पर नियंत्रण करने के बाद अपनी पहली आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, तालिबान ने अफगानिस्तान में इस्लामी कानून की 'सीमा के भीतर' महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने की कसम खाई थी, तब से ही वहां रहने वाली वर्किंग महिलाएं आशंकाग्रस्त हो गई थीं. देश में युवा महिला पेशेवरों के लिए, यह बयान अनिश्चितता से भरा हुआ था. इन 'सीमाओं' का क्या मतलब है, यह एक ऐसा सवाल है, जिसका कोई सटीक उत्तर नहीं है.
पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने गुरुवार को बलूचिस्तान के दौरे पर पहुंचे हैं, जहां उन्होंने कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की. पाकिस्तानी सेना का दावा है कि उसने रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया है तो दूसरी ओर बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) का कहना है कि ISPR द्वारा किए गए दावे झूठे हैं और पाक हार को छिपाने की नाकाम कोशिश कर रहा है.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.