ट्विन टावर्स: 2004 में जमीन आवंटन से लेकर बिग ब्लास्ट तक... जानिए कब क्या-क्या हुआ?
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Supertech Twin Towers: ध्वस्तीकरण से एक दिन पहले तक करीब 800 करोड़ की 32 मंजिला इमारत लोगों के लिए सेल्फी प्वाइंट बन गई. भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ी इस गगनचुंबी इमारत का निर्माण सभी नियमों को ताक पर रखकर किया गया. वहीं इसके खिलाफ एमराल्ड कोर्ट के बायर्स ने अपने खर्च पर एक लंबी लड़ाई लड़ी.
Supertech Twin Towers: नोएडा के सेक्टर-93ए में स्थित सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर (एपेक्स और सियान) को आज रविवार दोपहर ढाई बजे ध्वस्त कर दिया जाएगा. देश में पहली बार इतनी ऊंची इमारत को ढहाया जाएगा. इसका ध्वस्तीकरण ऐतिहासिक होगा. यही कारण है कि ध्वस्तीकरण से एक दिन पहले तक करीब 800 करोड़ की 32 मंजिला ये इमारत लोगों के लिए सेल्फी प्वाइंट बन गई. भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ी इस गगनचुंबी इमारत का निर्माण सभी नियमों को ताक पर रखकर किया गया. वहीं इसके खिलाफ एमराल्ड कोर्ट के बायर्स ने अपने खर्च पर एक लंबी लड़ाई लड़ी. इतना ही नहीं, अगर कोर्ट का आदेश समय से नहीं आता तो बिल्डर इन टावरों को 40 मंजिल तक बना डालता.
दरअसल, 23 नवंबर 2004 को सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए नोएडा प्राधिकरण ने जमीन आवंटन किया था. जिसमें सुपरटेक बिल्डर को कुल 84,273 वर्गमीटर जमीन आवंटित की गई. 16 मार्च 2005 को इसकी लीज डीड हुई. हालांकि उस दौरान जमीन की पैमाइश में लापरवाही के कारण कई बार जमीन बढ़ी या घटी हुई भी निकल आती थी. इसी क्रम में यहां पर प्लॉट नंबर 4 में आवंटित जमीन के पास ही 6.556.61 वर्गमीटर जमीन का एक टुकड़ा निकल आया, जिसे बिल्डर ने ही अपने नाम आंवटित करा लिया. इसके लिए 21 जून 2006 को लीज डीड की गई. लेकिन इन दो अलग-अलग प्लॉट्स को नक्शा पास होने के बाद एक प्लॉट बना दिया गया. जिस पर सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया.
11 मंजिल के 16 टावर्स बनाने की थी योजना
बता दें कि इस प्रोजेक्ट में बिल्डर ने ग्राउंड फ्लोर के अलावा 11 मंजिल के 16 टावर्स बनाने की योजना तैयार की थी. वहीं नक्शे के हिसाब से आज जिस स्थान पर 32 मंजिला ट्विन टावर खड़े हैं, वहां पर ग्रीन पार्क दिखाया गया था. 2008-09 में इस प्रोजेक्ट को नोएडा प्राधिकरण से कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी मिल गया. लेकिन इसी बीच 28 फरवरी 2009 को उत्तर प्रदेश शासन ने नए आवंटियों के लिए एफएआर बढ़ाने का निर्णय लिया. वहीं पुराने आवंटियों को कुल एफएआर का 33 प्रतिशत तक खरीदने का विकल्प भी दिया. इसी के साथ बिल्डरों को भी अधिक फ्लैट्स बनाने की छूट मिल गई. जिसके बाद सुपरटेक ग्रुप को भी इस बिल्डिंग की ऊंचाई 24 मंजिल और 73 मीटर तक बढ़ाने की अनुमति मिल गई. लेकिन इसके बाद तीसरी बार जब फिर से रिवाइज्ड प्लान में बिल्डिंग की ऊंचाई 40 और 39 मंजिला करने के साथ ही 121 मीटर तक बढ़ाने की अनुमति सुपरटेक को मिली तो होम बायर्स का सब्र टूट गया.
बायर्स को नहीं दिया गया था नक्शा
RWA ने बिल्डर से बात करके नक्शा दिखाने की मांग की. लेकिन बायर्स के मांगने के बावजूद बिल्डर ने लोगों को नक्शा नहीं दिखाया. तब RWA ने नोएडा अथॉरिटी से नक्शा देने की मांग की. यहां भी घर खरीदारों को कोई मदद नहीं मिली. एपेक्स और सियाने को गिराने की इस लंबी लड़ाई में शामिल रहे प्रोजेक्ट के निवासी यू बी एस तेवतिया का कहना है कि नोएडा अथॉरिटी ने बिल्डर के साथ मिलीभगत करके ही इन टावर्स के निर्माण को मंजूरी दी है. उनका आरोप है कि नोएडा अथॉरिटी ने नक्शा मांगने पर कहा कि वो बिल्डर से पूछकर नक्शा दिखाएगी. जबकि बिल्डिंग बायलॉज के मुताबिक किसी भी निर्माण की जगह पर नक्शा लगा होना अनिवार्य है. इसके बावजूद बायर्स को प्रोजेक्ट का नक्शा नहीं दिखाया गया. बायर्स का विरोध बढ़ने के बाद सुपरटेक ने इसे अलग प्रोजेक्ट बताया.
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