झारखंड में चुनावी हार पर BJP ने बुलाई समीक्षा बैठक, पार्टी तैयार करेगी सांसदों का रिपोर्ट कार्ड
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बीजेपी ने अपने 8 सांसदों और AJSU के एक सांसद को विधानसभा चुनाव में अपने क्षेत्र से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने पर फोकस करने का टास्क दिया था. टिकट वितरण के दौरान पार्टी नेतृत्व ने उनसे भी राय मांगी थी. स्टार प्रचारकों की सूची में भी सांसदों को शामिल किया गया. लेकिन, जब चुनाव नतीजे आये तो तीन को छोड़कर बाकी सभी का प्रदर्शन निराशाजनक था.
एक तरफ भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में अपनी शानदार जीत से उत्साह में है तो वहीं दूसरी तरफ झारखंड में अपनी हार पर एक समीक्षा बैठक आयोजित करने की तैयारी कर रही है. पार्टी ने 30 नवंबर और 1 दिसंबर को बैठक बुलाई है जिसमें वह झारखंड में हार के कारणों पर मंथन करेगी.
सूत्रों के मुताबिक, झारखंड बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी हार का कारण समझने के लिए सभी हारे हुए उम्मीदवारों के साथ वन टू वन बैठक करेंगे. मैराथन समीक्षा बैठक करने के बाद, पार्टी नेताओं के दिल्ली जाने की संभावना है जहां वे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे.
सांसदों को दी गई थी बड़ी जिम्मेदारी
बीजेपी ने अपने 8 सांसदों और AJSU के एक सांसद को विधानसभा चुनाव में अपने क्षेत्र से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने पर फोकस करने का टास्क दिया था. टिकट वितरण के दौरान पार्टी नेतृत्व ने उनसे भी राय मांगी थी. स्टार प्रचारकों की सूची में भी सांसदों को शामिल किया गया. लेकिन, जब चुनाव नतीजे आये तो तीन को छोड़कर बाकी सभी का प्रदर्शन निराशाजनक था.
कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी का प्रदर्शन रहा सबसे अच्छा
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और कोडरमा की सांसद अन्नपूर्णा देवी का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा. कोडरमा की 6 सीटों में से बीजेपी ने 83.33% स्ट्राइक रेट के साथ पांच सीटें जीतीं. 80% स्ट्राइक रेट के साथ दूसरे स्थान पर रहे हजारीबाग सांसद मनीष जयसवाल और तीसरे स्थान पर रहे चतरा सांसद कालीचरण सिंह. हालांकि, रांची, पलामू और धनबाद के सांसदों का प्रदर्शन औसत रहा. सबसे खराब स्थिति गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे समेत तीन सांसदों की थी.
बीजेपी ने अपने 8 सांसदों और AJSU के एक सांसद को विधानसभा चुनाव में अपने क्षेत्र से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने पर फोकस करने का टास्क दिया था. टिकट वितरण के दौरान पार्टी नेतृत्व ने उनसे भी राय मांगी थी. स्टार प्रचारकों की सूची में भी सांसदों को शामिल किया गया. लेकिन, जब चुनाव नतीजे आये तो तीन को छोड़कर बाकी सभी का प्रदर्शन निराशाजनक था.
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