जेल से लंबी छुट्टी चाहता था आसराम का बेटा साई, सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदों पर फेरा पानी
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गुजरात उच्च न्यायालय ने नारायण साई को दो हफ्ते का फर्लो दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के इस आदेश पर रोक लगा दी है.
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने स्वयंभू संत आसाराम के बेटे नारायण साई को दो हफ्तों का फर्लो देने के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश पर जुमेरात को रोक लगा दी है. साई असमतदरी के एक मामले में मुजरिम हैं और जेल में अपनी सजा काट रहे हैं. आसाराम भी राजस्थान में बलात्कार के एक अन्य मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है. बहरहाल, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उसे यह देखने की जरूरत है कि क्या नियमों में कैलेंडर वर्ष के मुताबिक साल में एक बार या किसी कैदी को पिछली बार दी गयी फर्लो के 12 महीने बाद फर्लो दिए जाने की इजाजत है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की बेंच ने गुजरात सरकार की याचिका पर नारायण साई को नोटिस दिया. इस याचिका में उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गई है. उच्चतम न्यायालय ने अगले आदेश तक उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी. उच्चतम न्यायालय ने मामले पर सुनवाई के लिए दो हफ्ते बाद का समय दिया है. सात साल सजा काटने के बाद फर्लो और पैरोल लेने का है प्रावधान गुजरात सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एकल पीठ के 24 जून 2021 के आदेश में साई को दो हफ्तों के लिए फर्लो दी गई लेकिन खंडपीठ ने 13 अगस्त तक इस पर रोक लगा दी थी और इसके बाद राज्य ने 24 जून के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च अदालत का रुख किया. पीठ ने कहा कि बंबई फर्लो और पैरोल नियमों के मुताबिक किसी कैदी को जेल में सात साल की सजा पूरी करने के बाद हर साल फर्लो दी जा सकती है. गुजरात में भी ये नियम लागू हैं. पीठ ने कहा, ‘‘फर्लो का आधार यह है कि एक कैदी जेल के माहौल से दूर रहता है और अपने परिवार के सदस्यों से मिल पाता है.’’More Related News
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