जहांगीरपुरी हिंसाः शोभायात्रा के लिए विहिप ने मांगी थी इजाजत! लेकिन यहां हुई गड़बड़
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Jahangirpuri violence: उत्तर पश्चिम दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में बिना अनुमति के धार्मिक शोभायात्रा निकालने पर दिल्ली पुलिस ने विश्व हिंदू परिषद के एक स्थानीय नेता प्रेम शर्मा को गिरफ्तार किया था. हालांकि बाद में प्रेम शर्मा को छोड़ दिया गया.
विश्व हिंदू परिषद ने जहांगीरपुरी में हनुमान जन्मोत्सव पर निकली शोभायात्रा से पहले पुलिस परमिशन न लेने के आरोप में दर्ज एफआईआर मामले में सफाई दी है. विहिप की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि उन्होंने शोभायात्रा निकालने के लिए दिल्ली पुलिस के सामने अर्जी डाली थी, लेकिन पुलिस ने अर्जी पर न तो हां में जवाब दिया था और न ही मना किया. ऐसे में बिना परमिशन के शोभायात्रा निकालने में कोई गैर कानूनी काम नहीं हुआ है.
विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि विश्व हिंदू परिषद की स्थानीय इकाई की ओर से आयोजित शोभा यात्रा की इजाजत के लिए अर्जी कई दिन पहले डाल दी गई थी. यानी पुलिस प्रशासन को शोभा यात्रा निकलने का पता था.
शांतिपूर्ण तरीके से निकाली गई थी शोभायात्रा आलोक कुमार ने आजतक से बात करते हुए यह साफ किया की शोभा यात्रा शांतिपूर्ण थी. उन्होंने कहा, 'धार्मिक प्रतीकों और झंडों के साथ श्रद्धालु बिना हथियार के निकले थे. शोभा यात्रा में जय जयकार कर रहे लोगों ने न मस्जिद के आगे कोई धार्मिक या भड़काऊ नारे लगाए न ही किसी पर हमला किया, लेकिन शांतिपूर्ण शोभायात्रा पर इस तरह दुर्भावना से हमला करना अपने आप में गंभीर अपराध है.'
आलोक कुमार ने कहा कि सिर्फ दिल्ली के जहांगीरपुरी में ही नहीं बल्कि देश के कई शहरों जिनमें खरगोन और करौली सहित देश के 8-9 ऐसे शहर हैं जहां रामनवमी और हनुमान जन्म उत्सव की शोभायात्रा पर पथराव किया गया. हमले किए गए. हर जगह हमले का पैटर्न लगभग एक जैसा है यह बात प्रशासन के लिए भी गंभीर चुनौती है. मामले की जांच हो और सभी दोषियों पर कार्रवाई हो.
आलोक कुमार से जब यह पूछा गया कि कार्रवाई क्या उन लोगों पर भी हो जो धार्मिक जुलूस में डंडे आग्नेयास्त्र, तलवार और लाठी डंडों के साथ लैस थे. इस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि ये उचित होगा कि अगर विहिप कार्यकर्ताओं के हाथों में हथियार होने के सबूत मिलते हैं तो जांच हर तरफ से हर पक्षकार की होनी चाहिए. इससे ही सच्चाई सामने आएगी.
उन्होंने इस बात पर बहुत साफ साफ साथ जवाब नहीं दिया कि बिना परमिशन के आखिर शोभायात्रा क्यों? उनका यह भी कहना था कि जब शोभायात्रा बिना परमिशन के थी तो पुलिस वाले साथ क्यों चल रहे थे? और वह भी जब शोभायात्रा इतनी भव्य और बड़ी हो तो सिर्फ तीन पुलिसवाले? इसमें तो पूरी सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए थी. सिर्फ तीन पुलिसवालों से भीड़ को कैसे काबू किया जा सकता था? किसी भी अपरिहार्य स्थिति का सामना तीन पुलिसकर्मी कैसे कर सकते हैं?
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