जस्टिस यूयू ललित 27 अगस्त को CJI की शपथ लेंगे, SC के 49वें मुख्य न्यायाधीश होंगे
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चीफ जस्टिस एनवी रमना ने केंद्र सरकार को सिफारिशी चिट्ठी में अपने उत्तराधिकारी का नाम भेज दिया है. नियत प्रक्रिया पूरी होने के बाद राष्ट्रपति भवन उनकी नियुक्ति का परवाना जारी कर देगा. सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस रमना ने परंपरा का पालन करते हुए सीनियर मोस्ट जज जस्टिस यूयू ललित का नाम अगले CJI के लिए भेज दिया है.
जस्टिस उदय उमेश ललित 27 अगस्त को देश के 49वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे. वो दो महीने दो हफ्ते यानी कुल 75 दिन तक सुप्रीम कोर्ट की अगुआई करेंगे. जस्टिस यूयू ललित 9 नवंबर को रिटायर होंगे. इसके बाद देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पद संभालेंगे. जस्टिस चंद्रचूड़ ठीक दो साल यानी 10 नवंबर 2025 तक इस पद पर रहेंगे.
बता दें कि देश के मौजूदा चीफ जस्टिस एनवी रमना ने केंद्र सरकार को सिफारिशी चिट्ठी लिख कर अपने उत्तराधिकारी का नाम भेज दिया है. नियत प्रक्रिया पूरी होने के बाद राष्ट्रपति भवन उनकी नियुक्ति का परवाना जारी कर देगा. सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस रमना ने परंपरा का पालन करते हुए सीनियर मोस्ट जज जस्टिस यूयू ललित का नाम अगले चीफ जस्टिस के लिए विधि और न्याय मंत्रालय को भेज दिया है.
दो दिन पहले ही कानून और न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने CJI को चिट्ठी लिखकर अपने उत्तराधिकारी का नाम प्रेषित करने का आग्रह किया था. एनवी रमना 27 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं.
यूयू ललित न्यायाधीश ने अपनी पदोन्नति से पहले सुप्रीम कोर्ट में एक सीनियर वकील के रूप में प्रैक्टिस की है. जस्टिस ललित अब तक सीधे सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत होने वाले छठे वरिष्ठ अधिवक्ता हैं. ललित कई हाई-प्रोफाइल केसेज़ से जुड़े रहे हैं. इसमें काला हिरण शिकार मामले में अभिनेता सलमान खान का केस भी शामिल है. उन्होंने भ्रष्टाचार के एक मामले में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और अपनी जन्मतिथि से जुड़े एक मामले में पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह का भी प्रतिनिधित्व किया है.
कैसा रहा है करियर
जस्टिस यूयू ललित महाराष्ट्र के रहने वाले हैं. वह जून 1983 में बार में शामिल हुए और 1986 से शीर्ष अदालत में प्रैक्टिस करना शुरू किया. उन्होंने 1986 से 1992 तक पूर्व अटॉर्नी-जनरल, सोली जे. सोराबजी के साथ काम किया. 9 नवंबर 1957 को जन्मे जस्टिस ललित जून 1983 में एक वकील के रूप में नामांकित हैं. उन्होंने दिसंबर, 1985 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की. जनवरी, 1986 से उन्होंने दिल्ली में प्रैक्टिस शुरू कर दी. अप्रैल, 2004 में वह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किए गए. वह दो कार्यकालों के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय के कानूनी सेवा समिति के सदस्य बने और 13 अगस्त 2014 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए.
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