![जल्द भारत आ सकते हैं चीनी विदेश मंत्री वांग यी, गलवान हिंसा के बाद पहली यात्रा होगी](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202203/achina-foreign-minister-wang-yi-sixteen_nine.jpg)
जल्द भारत आ सकते हैं चीनी विदेश मंत्री वांग यी, गलवान हिंसा के बाद पहली यात्रा होगी
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भारत और चीनी सैनिकों के बीच 15 जून 2020 को गलवान हिंसा हुई थी. इस हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. वहीं, चीनी सेना को भी काफी नुकसान पहुंचा था. तभी से दोनों देशों के बीच विवाद जारी है.
चीन के विदेश मंत्री वांग यी जल्द भारत की यात्रा पर आ सकते हैं. अगर वांग यी भारत आते हैं, तो गलवान हिंसा के बाद से यह चीन की ओर से पहली आधिकारिक यात्रा होगी. समाचार एजेंसी एएनआई ने यह जानकारी दी. हालांकि, अभी विदेश मंत्रालय का इस यात्रा को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
भारत और चीन के बीच 15 जून 2020 को गलवान हिंसा हुई थी. इस हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. वहीं, चीनी सेना को भी काफी नुकसान पहुंचा था. तभी से दोनों देशों के बीच विवाद जारी है. मार्च के आखिर में आ सकते हैं चीनी विदेश मंत्री हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्री वांग यी मार्च के आखिर में भारत आ सकते हैं. इस मामले से जुड़े लोगों ने बुधवार को यह जानकारी दी. हालांकि, बताया जा रहा है कि अभी यात्रा पूरी तरह से तय नहीं है, इसलिए तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है.
HT की रिपोर्ट के मुताबिक, नाम न छापने की शर्त पर इन लोगों ने बताया कि दोनों पक्ष यात्रा को लेकर संपर्क में हैं. हालांकि, अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है. इन लोगों ने बताया कि इस यात्रा की प्रस्ताव चीन की ओर से आया है. वांग यी की इस क्षेत्र की यात्रा के तहत नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और पाकिस्तान के दौरे की भी योजना थी.
26-27 मार्च को नेपाल जा सकते हैं वांग काठमांठू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, वांग यी 26-27 मार्च को नेपाल का दौरा कर सकते हैं. वे यहां राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी, प्रधान मंत्री शेर बहादुर देउबा और उनके नेपाली समकक्ष नारायण खड़का से मुलाकात करेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक, वांग काठमांडू में चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए दबाव डाल सकते हैं.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात ने दोनों नेताओं के बीच गहरी मित्रता को दर्शाया. ट्रंप ने मोदी को 'आई मिस यू' कहकर स्वागत किया, जबकि मोदी ने दोनों देशों के संबंधों को '1+1=111' बताया. दोनों नेताओं ने व्यापार, सुरक्षा और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की. ट्रंप ने मोदी को 'महान नेता' और 'खास व्यक्ति' बताया. मोदी ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा. दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की और शांति की आवश्यकता पर जोर दिया.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात में दोस्ती और व्यापार पर चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की तारीफ की, लेकिन व्यापार मुद्दों पर तनाव बरकरार रहा. ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की, जो भारत के लिए चुनौती हो सकती है. मुलाकात में एफ-35 फाइटर जेट्स और तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर भी चर्चा हुई.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग पर गहन चर्चा की गई. इस चर्चा में अमेरिका ने भारत को F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स, स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल्स और जावलिन मिसाइल्स की पेशकश की. विशेषज्ञों का विचार है कि ये हथियार भारत की आत्मनिर्भरता नीति के सटीक अनुरूप नहीं हैं.
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रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने का ब्लू प्रिंट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग तैयार कर लिया है. इससे पहले ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यू्क्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर बातचीत की. ट्रंप चाहते हैं कि नाटो में शामिल होने की जिद्द यूक्रेन छोड़ दे लेकिन जेलेंस्की ने अपने देश की सुरक्षा का हवाला दिया है.
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PM नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई मुलाकात में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. आतंकवाद से निपटने में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बन गई, जिसमें ठाकुर हसन राणा के प्रत्यर्पण का विषय भी शामिल था. फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में भारत-अमेरिका के सहयोग पर भी वार्ता हुई, जहाँ अमेरिकी बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं की भारी मांग है.