![जलवायु परिवर्तन, हरित ऊर्जा और भारत-UAE संबंध.. दुबई में दिए इंटरव्यू में PM मोदी ने क्या-क्या कहा?](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202312/pm_modi_2-sixteen_nine.png)
जलवायु परिवर्तन, हरित ऊर्जा और भारत-UAE संबंध.. दुबई में दिए इंटरव्यू में PM मोदी ने क्या-क्या कहा?
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दुबई के एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन की समस्या को लेकर कहा कि यह समझना आवश्यक है कि विकासशील देशों ने समस्या के निर्माण में कोई योगदान नहीं दिया है, लेकिन फिर भी विकासशील देश समाधान का हिस्सा बनने के इच्छुक हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए गुरुवार को दुबई पहुंचे. इस दौरान पीएम ने दुबई के एक समाचार पत्र Aletihad को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कई अहम बातों का जिक्र किया. पीएम ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि संयुक्त अरब अमीरात द्वारा आयोजित COP28 सम्मेलन प्रभावी जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में नई गति लाएगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस प्रमुख क्षेत्र में यूएई के साथ देश की साझेदारी भविष्य की दृष्टि से प्रेरित होकर मजबूत होती जा रही है. पीएम ने कहा कि दोनों देश ऊर्जा सुरक्षा , ऊर्जा क्षेत्र में एक-दूसरे की ताकत का लाभ उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत और यूएनई के स्थायी संबंध कई स्तंभों पर आधारित है, और हमारे संबंधों की गतिशीलता हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी द्वारा व्यक्त की गई है.
यूएई की जमकर की तारीफ
संयुक्त अरब अमीरात की अपनी छठी यात्रा के दौरान पीएम मोदी कहा, 'भारत और संयुक्त अरब अमीरात एक हरित और अधिक समृद्ध भविष्य को आकार देने में भागीदार के रूप में साथ खड़े हैं. हम जलवायु कार्रवाई पर वैश्विक चर्चा करने के अपने संयुक्त प्रयासों के प्रति दृढ़ सकंल्पित हैं.' पीएम मोदी ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन को लेकर संयुक्त अरब अमीरात की अटूट प्रतिबद्धता की तारीफ की.
विकसित देशों पर निशाना
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने हमेशा माना है कि जलवायु परिवर्तन एक सामूहिक चुनौती है जिसको एकीकृत वैश्विक प्रतिक्रिया की उम्मीद रहती है. उन्होंने विकसित देशों का नाम लिए बगैर कहा कि इसकी पहचान करना जरूरी है विकासशील देशों ने समस्या के निर्माण में कोई योगदान नहीं दिया है लेकिन फिर भी विकासशील देश समाधान का हिस्सा बनने के इच्छुक हैं. पीएम ने कहा, “लेकिन, वे (विकासशील देश) आवश्यक वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी तक पहुंच के बिना योगदान नहीं कर सकते हैं… इसलिए मैंने अपेक्षित जलवायु वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक सहयोग की पुरजोर वकालत की है.'
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