जंगल में तेंदू पत्ते तोड़ रहे थे दो नाबालिग लड़के, IED ब्लास्ट में दर्दनाक मौत, ये थी नक्सलियों की साजिश
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जब वे जंगल में तेंदू पत्ते तोड़ रहे थे, तभी अचानक वे दोनों आईईडी के संपर्क में आ गए, और तभी एक तेज धमाका हो गया और उन दोनों लड़कों की दर्दनाक मौत हो गई. एक पुलिस अफसर ने बताया कि माओवादियों ने इलाके में सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाने के लिए आईईडी लगाया था.
छत्तीसगढ़ के बिजापुर जिले में इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) में विस्फोट होने से दो नाबालिग लड़कों की दर्दनाक मौत हो गई. ये विस्फोटक नक्सलियों ने जंगल में प्लांट किया था. यह विस्फोट रविवार को उस जंगल में हुआ था.
बिजापुर में यह विस्फोट भैरमगढ़ पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत बोडगा गांव में हुआ. यह गांव छ्त्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 400 किमी से अधिक दूर स्थित है. इस घटना के बारे में एक पुलिस अधिकारी ने जानकारी देते हुए पीटीआई को बताया कि प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, लक्ष्मण ओयाम (13) और बोती ओयाम (11) गांव के पास जंगल में तेंदू पत्ते तोड़ने गए थे.
उसी दौरान जब वे जंगल में तेंदू पत्ते तोड़ रहे थे, तभी अचानक वे दोनों आईईडी के संपर्क में आ गए, और तभी एक तेज धमाका हो गया और उन दोनों लड़कों की दर्दनाक मौत हो गई. एक पुलिस अफसर ने बताया कि माओवादियों ने इलाके में सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाने के लिए आईईडी लगाया था.
पुलिस अधिकारी ने आगे बताया कि माओवादी बस्तर क्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में गश्त करने वाले सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाने के लिए सड़क के किनारे, गंदगी वाले रास्तों पर और जंगलों में आईईडी लगाते हैं. लेकिन इस घटना में आम नागरिक इसका शिकार बन गए हैं. पीड़ितों के परिजन और ग्रामीण दोनों लड़कों के शव सोमवार को बैरमगढ़ ले आए.
आपको बता दें कि इस घटना के साथ ही पिछले एक महीने में बीजापुर जिले में अलग-अलग जगहों पर हुए आईईडी ब्लास्ट में अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है.
11 मई को जिले के गंगालूर इलाके में नक्सलियों द्वारा लगाए गए प्रेशर आईईडी में विस्फोट होने से 25 वर्षीय एक महिला की मौत हो गई, जब वह तेंदू पत्ते एकत्र करने में लगी हुई थी, जबकि 20 अप्रैल को गंगालूर में एक व्यक्ति की मौत हो गई. 12 अप्रैल को मिरतुर क्षेत्र में सड़क निर्माण कार्य में लगे एक मजदूर की मौत हो गई.
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