चुनाव हारने के बावजूद गहलोत क्यों कांग्रेस की मजबूरी बने हुए हैं?
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आज कांग्रेस की वर्किंग कमिटी की बैठक में क्या तय होगा, यूपी में नई शराब नीति से क्या क्या बदल जाएगा और झारखण्ड के राज्यपाल के सुझाव को दरकिनार कर क्यों पास हुआ स्थानीयता विधेयक? सुनिए 'आज का दिन' में.
बीते तीन दिसम्बर को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आए. कांग्रेस तेलंगाना की सत्ता में तो ज़रूर आई लेकिन दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता गंवा दी. इन नतीजों के बाद आज कांग्रेस वर्किंग कमेटी की पहली बैठक है. सीडब्ल्यूसी की इस बैठक में हाल के विधानसभा चुनाव के नतीजे तो डिस्कस ही होंगे क्योंकि तीन बड़े राज्य जिनमें से दो राज्यों में कांग्रेस सत्ता में थी, चुनाव हार गई. इसके साथ ही लोकसभा चुनाव भी अब करीब हैं,ऐसे में पार्टी उसको लेकर रणनीति क्या हो, इसपर भी चर्चा कर सकती है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि अगले साल होने वाले चुनावों से पहले राहुल गांधी बेरोजगारी और महंगाई को मुद्दा बनाकर एक और यात्रा करेंगे. अब उस यात्रा का रूट क्या हो, ये यात्रा पैदल हो या हाइब्रिड इन सवालों पर भी इस बैठक में बात हो सकती है. क्या है एजेंडा इस बैठक का और बघेल- गहलोत का रोल पार्टी में क्या होगा, खड़गे इन नेताओं के बारे में क्या प्लान करेंगे या कर सकते हैं? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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झारखंड में एक बिल पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री में ठनी हुई थी. वो था झारखंड में स्थानीय कौन है और बाहरी कौन इसकी परिभाषा तय करने के लिए लाया गया बिल. इस बिल के अनुसार झारखंड में वही लोग स्थानीय माने जाएंगे जिनके पास 1932 या उससे पहले का भूमि रिकॉर्ड हो. यानी कोई भी व्यक्ति जिसके पुर्वजों का नाम 1932 या उससे पहले के किसी भी कागज़ या सर्वे में दर्ज हो वो झारखण्ड का स्थानीय नागरिक है. इसके अलावा जो भूमिहीन हैं उनकी पहचान ग्राम पंचायतें करेंगी. ये बिल पहले भी झारखंड विधानसभा ने पास किया था, लेकिन राज्यपाल ने कुछ संशोधन बताते हुए इसे वापस कर दिया था. कल मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने बिना किसी संशोधन के फिर इसे पेश किया और ये बिल बहुमत से पास हो गया. अब ये फिर से राज्यपाल के पास जाएगा. राज्यपाल अगर इसे मंजूरी देते हैं तो फिर ये राष्ट्रपति के पास जाएगा, वहां से मंजूरी मिलने के बाद ये कानून बनेगा. झारखंड की भौगोलिक और सामाजिक स्थिति को देखते हुए इस बिल की ज़रूरत क्यों पड़ी सरकार को? लोकल की परिभाषा तय करने की ज़रूरत क्यों थी और इस बिल पर राज्यपाल को क्यों आपत्ति है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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मयकशी का शौक़ रखने वालों के लिए अच्छी ख़बर है. उत्तर प्रदेश में शराब की कीमतें नहीं बढ़ेंगी. योगी सरकार नई आबकारी नीति लेकर आई थी. आबकारी आयुक्त ने नई नीति को स्पष्ट करते हुए बताया कि राजस्व बढ़ाने के लिए कई उपाय किये गये हैं. नई शराब नीति में साल के दो दिन शराब की दुकानें एक घंटे ज्यादा खुल सकेंगी. नई नीति के तहत, क्रिसमस की रात यानी 24 दिसंबर और नए साल की रात यानी 31 दिसंबर यानी 31 दिसंबर को शराब की दुकानें रात के 11 बजे तक खुल सकेंगी. नई शराब नीति में एक बड़ा बदलाव बीयर को लेकर भी किया गया है. अब बीयर की दुकानों को मॉडल शॉप में बदला जा सकेगा. नई नीति के तहत, अगर शराब दुकान के बगल में कम से कम 100 स्कॉयर फीट की जगह खाली है, तो वहां लोग बीयर पी सकेंगे. हालांकि, ये फ्री में नहीं होगा. इसके लिए लाइसेंस धारक को कुछ रकम भी चुकानी होगी. सरकार इन बदलाव से क्या हासिल रखने का लक्ष्य रखा है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.