चंद्रबाबू नायडू को आया नीतीश कुमार का फोन, जानिए क्या हुई बात, शपथ ग्रहण से अनुपस्थिति पर उठ रहे थे सवाल
AajTak
नीतीश कुमार की चुप्पी कई बार बहुत संकेत दे जाती है. बिहार के मुख्यमंत्री बुधवार को जब चंद्रबाबू नायडू के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंचे तो कई चर्चाएं होने लगी है. दोनों ही नेता केंद्र में बनी नई एनडीए सरकार में किंगमेकर के रोल में हैं. लिहाजा इनमें से एक की गैरहाजिरी कई सवाल खड़े कर रही थी.
बिहार के सीएम नीतीश कुमार बुधवार को चंद्रबाबू नायडू के शपथ ग्रहण में नहीं आए. नीतीश और चंद्रबाबू नायडू दोनों ही मोदी 3.0 सरकार के किंगमेकर हैं. बुधवार को जब नीतीश चंद्रबाबू नायडू के शपथ ग्रहण में नहीं पहुंचे तो एनडीए की नयी नवेली सरकार की सेहत पर चर्चाएं शुरू हो गई. बिहार की विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने तुरंत इस पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि NDA के घटक दलों के बीच सब ठीक नहीं चल रहा है.
इन कयासबाजियों के बीच खबर आई है कि नीतीश कुमार ने कल यानी बुधवार को ही तेलुगु देशम पार्टी के मुखिया एन चंद्रबाबू नायडू को फोन किया है. रिपोर्ट के अनुसार नीतीश ने सीएम पद संभालने के बाद चंद्रबाबू नायडू को धन्यवाद दिया. बिहार के मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान के अनुसार नीतीश ने फोन पर नायडू से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नायडू की अगुवाई में दक्षिण का ये राज्य विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा.
बता दें कि केंद्र की नई एनडीए सरकार में नीतीश दूसरे सबसे बड़े घटक दल जेडीयू के नेता है. इस सरकार में 16 एमपी के साथ टीडीपी सबसे बड़ा घटक दल है और 12 सांसदों के साथ नीतीश कुमार की जेडीयू दूसरे नंबर पर है.
नायडू के शपथ ग्रहण समारोह में क्यों नहीं पहुंचे नीतीश कुमार! बढ़ी सियासी हलचल
नरेंद्र मोदी सरकार के लिए इन दोनों ही घटक दलों का एनडीए में रहना जरूरी है. दोनों ही पार्टी को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में दो-दो मंत्रालय मिले हैं.
इधर आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू को प्रचंड बहुमत मिला है. हालांकि नायडू ने अपनी सरकार में पवन कल्याण की पार्टी जनसेना और बीजेपी को शामिल किया है. एनडीए को यहां 175 में 164 सीटें मिली हैं. इस सरकार का शपथ ग्रहण बुधवार को हुआ. इस कार्यक्रम में पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा मौजूद रहे.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.