घुसपैठियों से झाड़ू तक... बांग्लादेश से आवाजाही इतनी आसान जैसे दिल्ली से नोएडा, कागज सबके बन जाते हैं!
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झारखंड की स्पेशल ब्रांच ने पिछले साल एक लेटर जारी किया. इसमें घुसपैठियों के संथाल-परगना आकर मदरसों में ठहरने की बात लिखी है. कथित तौर पर इसी दौरान उनके पहचान पत्र बनते हैं. ब्रांच ने संथाल में इसकी जांच की बात की थी. दिसंबर में एक लेटर होम मिनिस्ट्री से आया, जिसमें उन फर्जी पोर्टल्स का जिक्र है, जो नकली ID बना रहे हैं. हम खुद सड़क और नदी से होकर बॉर्डर तक सच्चाई जानने पहुंचे.
पिछले दो हिस्सों में आप पढ़ चुके हैं कि कैसे सरहद से सटे इलाकों में घुसपैठ, लव जिहाद, लैंड जिहाद के मुद्दे जोर पकड़ रहे हैं. संथाल-परगना के तीन जिलों में इसे लेकर हमारी पड़ताल के तीसरे हिस्से में पढ़िए कि बॉर्डर पर सख्त निगरानी के बावजूद बांग्लादेश से भारत में आ बसना कुछ लोगों के लिए उतना ही आसान है, जितना एक से दूसरे शहर जाना...
बीते कुछ समय से झारखंड के आदिवासी इलाकों की डेमोग्राफी में बदलाव की बात सुनाई दे रही है. पाकुड़ में मुस्लिम आबादी में करीब 40 प्रतिशत की बढ़त हुई, वहीं संथाल आबादी 20 प्रतिशत से भी कम बढ़ी. साहिबगंज को देखें, तो संथालों के 11 प्रतिशत की तुलना में मुस्लिम आबादी में 37 प्रतिशत की बढ़त हुई. साल 2001 और 2011 की जनगणना की तुलना करने पर ये बात दिखती है.
इसकी वजह बांग्लादेशी घुसपैठ मानी जा रही है. कहा जाता है कि पश्चिम बंगाल का एक खास रूट लेते हुए बाहरी मुस्लिम झारखंड के बॉर्डर तक पहुंचते हैं. वहां कुछ दिन मदरसों में गुजारते हैं. इसके बाद आम लोगों के बीच घुलमिल जाते हैं.
मिनिस्ट्री से जारी कुछ कागज भी इन आरोपों को वजन देते हैं.
मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने बीते साल दिसंबर में एक दस्तावेज जारी किया. इसमें 120 से ज्यादा नकली वेबसाइट्स का जिक्र है, जो नकली बर्थ सर्टिफिकेट बना रही हैं. इनके URL में असल से हल्का-सा ही फर्क होता है. हम उस अस्पताल तक भी पहुंचे, जिसने खुद धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी.
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