![घर में बेटी है तो इस शहर में अस्पताल से दुकान तक हर जगह मिलेगी सब्सिडी, बनवाना होगा ये कार्ड](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202501/677b75ef495b9-madhya-pradesh-reva-shakti-scheme-for-daughters-image-meta-ai-061920435-16x9.jpeg)
घर में बेटी है तो इस शहर में अस्पताल से दुकान तक हर जगह मिलेगी सब्सिडी, बनवाना होगा ये कार्ड
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घर में ज्यादा बेटियां हो तो लोग अक्सर उन्हें बोझ मानते हैं. इस सोच को दूर करने के लिए मध्य प्रदेश के जिला कलेक्टर ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है. एमपी में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत रेवाशक्ति योजना शुरू की जा रही है, जिसमें दो बेटियां होने पर सरकार की तरफ से माता-पिता को कई तरह के फायदे मिलेंगे.
पिछले कुछ वर्षों में समाज में लड़कियों के प्रति सोच में कई सकारात्मक बदलाव आए हैं, लेकिन फिर भी आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो बेटियों को बोझ मानते हैं. यह मानसिकता अब भी कई लोगों में है, यही कारण है कि लड़कियों को जन्म के बाद मारने की कई खबरे सामने आती हैं. मध्य प्रदेश के हरदा जिले के कलेक्टर आदित्य सिंह ने लड़कियों की सुरक्षा और लोगों की सोच बदलने के लिए जरूरी कदम उठाया है.
मध्य प्रदेश के हरदा जिले के कलेक्टर आदित्य सिंह ने जिले में रेवाशक्ति योजना की शुरुआत की है ताकि जिले में सेक्स रेशियो को समान किया जाए. हरदा जिले के कलेक्टर आदित्य प्रताप सिंह के अनुसार, जब से उन्होंने कलेक्टर का पद संभाला, तब से उन्होंने जिले में लिंगानुपात को लेकर चिंताजनक स्थिति महसूस की. इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, रेवाशक्ति योजना की शुरुआत की जा रही है, जिसे 22 जनवरी को बेटी बचाओ अभियान के दसवें वर्षगांठ पर औपचारिक रूप से लॉन्च किया जाएगा.
क्या है रेवाशक्ति योजना?
रेवाशक्ति योजना के तहत, उन माता-पिता को चिन्हित किया जाएगा जिनके पास केवल एक या दो बेटियां हैं. इन माता-पिता को "कीर्ति कार्ड" दिए जाएंगे, जिसमें एक बारकोड भी होगा. इस कार्ड का उपयोग दुकानों, अस्पतालों और अन्य स्थानों पर किया जा सकेगा, जहां उन्हें विशेष छूट मिलेगी. अब तक 638 माता-पिता को चिन्हित किया गया है, जिनके लिए कार्ड बनाए जा रहे हैं.
सरकारी दफ्तरों में बनेंगे कीर्ति कॉर्नर
इसके अलावा, कीर्ति कार्ड धारकों को कलेक्टर कार्यालय और अन्य सरकारी विभागों में प्राथमिकता दी जाएगी. सरकारी दफ्तरों में कीर्ति कॉर्नर बनाए जाएंगे, जहां इन कार्ड धारकों को लंबी कतारों में इंतजार नहीं करना पड़ेगा. अधिकारी इनकी समस्याओं का समाधान पहले करेंगे और सार्वजनिक सुनवाई में इन्हें प्राथमिकता दी जाएगी.
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