खिलौनों पर मोदी सरकार का फोकस, चीन से मुकाबले के लिए ले लिया ये बड़ा फैसला!
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PLI Scheme के जरिए सरकार घरेलू कंपनियों को मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की स्थापना, उनके विस्तार और ज्यादा रोजगार के मौके पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करती है. इसके साथ ही इसके माध्यम से अन्य देशों से इंपोर्ट पर देश की निर्भरता को कम करने की कोशिश की जाती है.
देश में खिलौना उद्योग (Toy Industry) तेजी से ग्रोथ कर रहा है और सरकार भी इस सेक्टर पर विशेष फोकस कर रही है. चीनी खिलौनों (Chinies Toy's) पर देश में लगाम लगाने के बाद अब इन्हें ग्लोबल मार्केट में भी टक्कर देने की तैयारी है. केंद्र सरकार (Central Government) अब डॉमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को ग्लोबल लेवल पर कॉम्पिटेंट बनाने के लिए खिलौना व्यवसाय को 3,500 करोड़ रुपये का बूस्टअप देने की योजना पर काम कर रही है.
3,500 करोड़ रुपये का पीएलआई बेनिफिट पीटीआई की रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से सरकार के इस बिग प्लान के बारे में जानकारी साझा की गई है. इसमें कहा गया है कि केंद्र खिलौनों खिलौनों को 3,500 करोड़ रुपये के उत्पादन से जुड़ा पीएलआई बेनिफिट (PLI Benefit fot Toys) देने पर विचार कर रही है. हालांकि, यह लाभ सिर्फ उन्हीं को मिलेगा, जो भारतीय मानक ब्यूरो स्टैंडर्ड (BIS Standard) के अनुरूप होंगे.
अधिकारी के मुताबिक, देसी खिलौनों को मिलने वाला PLI खिलौना उद्योग के लिए सरकार द्वारा क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर की शुरुआत और कस्टम को 20 फीसदी से 60 फीसदी करने जैसे उपायों से देश में कम गुणवत्ता वाले आयात को कम करने और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने में मदद मिली है.
निवेश को आकर्षिक करने में मददगार PLI Benefit इंवेस्टमेंट को आकर्षित करने और निर्यात को बढ़ाने में मददगार साबित होगा. अधिकारियों का कहना है कि हम खिलौनों को पीएलआई बेनिफिट पर काम कर रहे हैं, लेकिन यह BIS Standard के अनुरूप खिलौनों को ही दिया जाएगा. पीएलआई बेनिफिट विभिन्न इन्वेस्टमेंट स्लैब के अनुसार दिया जा सकता है. यह 25 करोड़ रुपये से 50-100 या 200 करोड़ रुपये तक हो सकता है.
क्या होती है PLI Scheme? PLI Scheme ऐसी योजना है जिसका उद्देश्य कंपनियों को डॉमेस्टिक यूनिट्स में निर्मित प्रोडक्ट्स इंक्रीमेंटल सेल्स पर इंसेंटिव देना है. सरकार ने करीब 2 लाख करोड़ रुपये की इस योजना को पहले ही 14 सेक्टर्स में लागू कर दिया है. जैसा कि भारत में बने खिलौने अब न केवल ग्लोबल ब्रांड्स को सप्लाई किए जा रहे हैं, बल्कि वे ग्लोबल मार्केट्स में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं.
रिपोर्ट की मानें तो नए प्रस्ताव के तहत इंसेंटिव न सिर्फ कंपोनेंट के लिए, बल्कि पूरे प्रोडक्ट पर लागू होगा. इसका कारण ये है कि अभी भी कुछ कंपोनेंट्स के इंपोर्ट की जरूरत हो रही है. ये इंसेंटिव भारत की नेशनल स्टैंडर्ड बॉडी BIS के अनुरुप होगा.
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