
क्यों अमेरिकी सरकार खत्म करना चाहती है एजुकेशन विभाग, क्या होगा इसके बाद नामी-गिरामी कॉलेजों का?
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कटौती करने के क्रम में डोनाल्ड ट्रंप देश के एजुकेशन डिपार्टमेंट को ही बंद करने की बात कर रहे हैं. इसके लिए वे जल्द ही एग्जीक्यूटिव ऑर्डर दे सकते हैं. विभाग स्कूल-कॉलेजों की फंडिंग से लेकर कई जरूरी कामकाज देखता रहा. तो क्या इसके बंद होने से अमेरिकी बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर भी असर होगा, या फिर ये वाकई गैरजरूरी विभाग है?
चुनावी अभियान के दौरान ही डोनाल्ड ट्रंप ने कई विभागों को बंद या वहां स्टाफ कम करने की बात की थी. अब वे वाइट हाउस में हैं, और कहे हुए को पूरा भी कर रहे हैं. एजुकेशन डिपार्टमेंट भी इसी कटौती का शिकार हो सकता है. वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपी रिपोर्ट के अनुसार, कुछ रोज पहले ट्रंप ने इस बारे में प्लानिंग भी शेयर की. यूएस में दुनिया की नामी-गिरामी यूनिवर्सिटी हैं. ट्रंप के फैसले का उनपर क्या असर होगा?
ट्रंप के राज में फेडरल विभागों में कर्मचारियों पर होने वाला खर्च लगातार कम किया जा रहा है. एलन मस्क इसे देख रहे हैं. बहुत से डिपार्टमेंट में स्टाफ हटाया जा चुका, या छुट्टी पर भेजा जा चुका. वहीं कई विभाग बंद किए जा रहे हैं. एजुकेशन डिपार्टमेंट भी इनमें से एक है. यह विभाग अब तक स्कूल-कॉलेजों की फंडिंग देखता रहा. साथ ही यही तय करता है कि किस स्टूडेंट को किस कैटेगरी में रखा जाए. ये फंडिंग रोकी जा सकती है.
बता दें कि यूएस में स्कूल-कॉलेजों को मिलने वाली सरकारी फंडिंग लगभग 14 प्रतिशत रही. यूनिवर्सिटीज खासकर इस फंडिंग के भरोसे काफी काम करती रहीं. इसी फंड से प्रतिभाशाली लेकिन कमजोर आर्थिक स्थिति वाले स्टूडेंट्स के लिए ट्यूशन फीस कम हो जाती है. अब विभाग बंद हुआ तो इसका सीधा असर इस सब पर हो सकता है.
एजुकेशन डिपार्टमेंट की सेक्रेटरी लिंडा मैकमोहन ने शुक्रवार को फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में माना कि ट्रंप जल्द ही उनके विभाग पर ताला डलवा सकते हैं. उनके बयान के बाद से हंगामा मचा हुआ है. स्टूडेंट्स, पेरेंट्स से लेकर टीचर भी परेशान हैं कि राष्ट्रपति का फैसला उनपर क्या असर डालेगा.
एजुकेशन विभाग ये तय नहीं करता कि बच्चे क्या पढ़ेंगे और क्या नहीं. स्कूल कैरिकुलम पर इसका कोई कंट्रोल नहीं. इसकी जगह वो फंडिंग देखता है. उसका काम कमजोर स्कूलों और बच्चों तक तमाम सुविधाएं पहुंचाना है. डिपार्टमेंट यह भी देखता है कि ग्रेजुएट हो चुके बच्चों को उनकी स्किल के मुताबिक काम मिल सके. इसके लिए वो कॉलेजों को निर्देश देता है.

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