क्या है Criminal Procedure Identification Bill, विपक्ष क्यों है आगबबूला?
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Criminal Procedure Identification Bill: विपक्ष के विरोध के बावजूद लोकसभा और राज्यसभा से क्रिमिनल प्रोसीजर आइडेंटिफिकेशन बिल पास हो गया. अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ये कानून बन जाएगा.
Criminal Procedure Identification Bill: दोषियों और अपराधियों की पहचान से जुड़ा क्रिमिनल प्रोसीजर आइडेंटिफिकेशन बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो गया है. इस बिल को लेकर राज्यसभा में बुधवार को जमकर हंगामा हुआ. हालांकि, बाद में इसे ध्वनिमत से पास करा लिया गया. इससे पहले सोमवार को ये बिल लोकसभा से पास हो गया था. अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ये कानून बन जाएगा.
इस बिल के कानून बनने के बाद ये दोषियों की पहचान से जुड़े मौजूदा कानून आइडेंटिफिकेशन ऑफ प्रिजनर्स एक्ट 1920 की जगह ले लेगा. नया कानून आते ही पुराना कानून निरस्त हो जाएगा. पुराने कानून में सिर्फ फिंगरप्रिंट और फुटप्रिंट रिकॉर्ड करने की इजाजत है, जबकि इस बिल में आंखों के रेटिना से लेकर पैरों के प्रिंट तक को रिकॉर्ड रखने की इजाजत दी गई है.
सबसे पहले, इस बिल की जरूरत क्यों?
जब पुराना कानून था, तो नए कानून की जरूरत क्यों? इस पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने बताया था कि अपराधियों की पहचान वाला कानून 1920 में बना था. उसे अब 102 साल हो गए हैं. उस कानून में सिर्फ फिंगरप्रिंट और फुटप्रिंट का ही रिकॉर्ड रखने की इजाजत थी. उन्होंने बताया था कि समय के साथ न सिर्फ तकनीकी और वैज्ञानिक बदलाव हो रहे हैं, बल्कि अपराध भी बढ़ रहे हैं, इसलिए नया बिल लाया जा रहा है.
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6 प्वॉइंट में समझें, इस बिल में क्या-क्या है?
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