
क्या है यूएन की शांति सेना, जिसके हेडक्वार्टर पर इजरायल ने किया हमला, क्यों इस फोर्स पर होते रहे विवाद?
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लेबनान में काम कर रही यूनाइटेड नेशन्स पीसकीपिंग फोर्स ने हाल में आरोप लगाया कि इजरायल उनके नकौरा स्थित हेडक्वार्टर पर बमबारी कर रहा है. इस हमले को लेकर इजरायली सेना का कहना है कि वो हिजबुल्लाह को टारगेट कर रही थी, जो यूएन पीस आर्मी के आसपास बसे हुए हैं. वैसे शांति सेना काफी समय से विवादित रही. यहां तक कि कई देशों ने उसकी एंट्री तक पर रोक लगा दी.
इजरायली सेना का हिजबुल्लाह पर हमला जारी है. इस बीच लेबनान में मौजूद यूनाइटेड नेशन्स पीसकीपिंग फोर्स के हेडक्वार्टर पर भी बमबारी हुई. इस शांति सेना में कई देशों के साथ-साथ भारतीय सैनिक भी हैं. ये आर्मी साल 1978 से वहां बनी हुई है. वहीं नहीं, पीसकीपिंग फोर्स दुनिया के उन सारे देशों में हैं, जहां अस्थिरता रही. लेकिन इस सेना का काम क्या है, और क्या जंग के हालात बनने पर ये युद्ध भी करती है?
मिडिल ईस्ट में क्या कर रही फोर्स
लेबनान स्थित शांति सेना को यूनाइटेड नेशन्स इन्ट्रिम फोर्स इन लेबनान (यूनिफिल) कहा जाता है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मार्च 1978 में अपनी सेना वहां भेजी थी. ये वो वक्त था जब इजरायल ने लेबनान के दक्षिणी हिस्से पर कब्जा कर लिया था और आपसी तनाव के आसार दिख रहे थे. यूएनएससी ने एक रिजॉल्यूशन पास करते हुए तेल अवीव को वहां से अपने सैनिक हटाने को कहा, साथ ही अपनी शांति सेना भेज दी. इसका एक मकसद ये भी था कि विदेशी सेना की वापसी के बाद लेबनानी सरकार वहां अपना कामकाज कर सके.
इजरायल ने लगाया जासूसी का आरोप
चूंकि ये हिस्सा दक्षिणी लेबनान में है, जो कि इजरायली सीमा से सटा हुआ है, लिहाजा पीसकीपिंग फोर्स वहां कई जगहों पर फैलकर लंबे वक्त से काम कर रही है. बीच-बीच में शांति सेना पर ये आरोप भी लगा कि वो हिजबुल्लाह से मिली हुई है. यहां तक कि ऐसे वीडियो भी आए, जिसमें यूएन की गाड़ी में मिलिटेंट घूमते दिखे. इसपर फोर्स का कहना है कि क्षेत्र में हिजबुल्लाह के असर की वजह से वो उसके अप्रत्यक्ष संपर्क में तो है, लेकिन दोनों में कोई औपचारिक सहयोग कभी नहीं रहा.

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