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क्या ब्रेन चिप से दिमाग पर कंट्रोल कर लिया जाएगा, Musk से पहले पेंटागन गुपचुप करता रहा प्रयोग
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अमेरिका की रिसर्च कंपनी DARPA ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसे नाम दिया- रिपेयर. ये ह्यूमन ब्रेन-चिप प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट से जुड़े सारे वैज्ञानिक खुफिया तरीके से जीते हैं. दर्पा पर कई बार आरोप लगा कि वो इंसानी दिमाग, खासकर आर्मी पर नियंत्रण की योजना बना रही है ताकि सैनिकों को कत्लेआम में थोड़ी भी हिचक न हो.
एलन मस्क के स्टार्टअप न्यूरालिंक को ह्यूमन ट्रायल की मंजूरी मिल गई है. न्यूरालिंक ऐसी चिप बना रहा है, जो सीधे दिमाग में लगाई जाएगी. मस्क का दावा है कि इससे ब्रेन से जुड़ी बीमारियों के मरीजों को काफी फायदा होगा. मस्क के अलावा दुनिया के कई देशों की सरकारें भी इस तरह के प्रयोग कर रही हैं, जिसपर काफी कंस्पिरेसी भी है. कई एक्सपर्ट मानते हैं कि इससे इंसानी दिमाग पर कंट्रोल पाकर उसे रोबोट बना दिया जाएगा.
आगे क्या हो सकता है
न्यूरालिंक का इरादा है कि वो अगले 6 सालों में 20 हजार से ज्यादा लोगों के दिमाग में चिप लगाएगा. फिलहाल लकवाग्रस्त मरीजों के लिए ही ट्रायल को मंजूरी मिली है. हालांकि वालंटियर के तौर पर भी काफी लोगों के सामने आने की बात हो रही है.
ये तो हुए एलन के स्टार्टअप की बात, जो फिलहाल दिमागी बीमारियों से राहत का दावा करते हुए ह्यूमन चिप को उतार रहा है. वहीं कई ऐसे देश हैं, जो कथित तौर पर चिप से दिमागों को कंट्रोल करना चाहते हैं, खासकर सैनिकों के ताकि वे पूरी बर्बरता से लड़ें और मरने-मारने को लेकर मन में कोई दुख न आए.
कंसेप्ट की शुरुआत अमेरिका से मानी जाती है ये देश लंबे-लंबे समय तक कई देशों से युद्ध में उलझा रहा. उसके सैनिक सालों तक घरों से दूर रहे. यही जब लौटे तो डिप्रेशन के मरीज हो चुके थे. युद्ध से लौटे बहुत से सैनिकों ने खुदकुशी करने लगे. पेंटागन आर्मी को इसी ट्रॉमा से बचाने की कोशिश करने लगा. उसने सोचा कि ऐसे सैनिकों के दिमाग का बीमार हिस्सा हटा दिया जाए. फिलहाल ये मुमकिन नहीं है तो दूसरा तरीका ये सोचा गया कि उसमें चिप लगा दी जाए जो इमोशन्स को कंट्रोल कर सके.
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