क्या पुलिस, क्या डॉक्टर और क्या... पुणे पोर्श कांड में ऐसे हैक हुए 'सिस्टम' के सारे 'सॉफ्टवेयर'!
AajTak
पुणे पोर्श कांड में पीड़ितों के खिलाफ सिस्टम कैसे काम कर रहा था, इस गठजोड़ की परत दर परत खुलती जा रही है. घटना के वक्त दो पुलिस अफसरों ने कंट्रोल रूम को जानकारी देना तक जरूरी नहीं समझा. उसके बाद विधायक भी सुबह-सुबह थाने पहुंच गए. सिस्टम की बेशर्मी तो तब दिखी, जब अस्पताल से दो डॉक्टर्स ने आरोपी नाबालिग के ब्लड सैंपल ही गायब कर दिए. घटना के वक्त आरोपी नशे में था. इधर परिवार भी ड्राइवर पर दबाव अलग बन रहा था.
महाराष्ट्र के पुणे में पोर्श कार एक्सीडेंट केस में शुरुआत से ही सिस्टम सवालों के घेरे में है. एक रईसजादे के नाबालिग बेटे ने बिना रजिस्ट्रेशन, बिना ड्राइविंग लाइसेंस के कार दौड़ाई और बाइक सवार दो लोगों की जान ले ली. अपराध यहीं नहीं थमा. उसके बाद जो हुआ, उसने सरकार से लेकर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड तक की किरकिरी कराई. एक क्राइम पर पर्दा डालने के लिए वो सब किया गया, जो ना कानून की किताब में लिखा है और ना उस ड्यूटी की शपथ में. बार से लेकर पुलिस, विधायक, डॉक्टर और अंत में खुद आरोपी नाबालिग के पापा-दादा... सबकी संलिप्तता की कलई खुलती चली गई. ये सच जब सामने आया तो ऐसा लगा इस 'सिस्टम' को चलाने वाला पूरा 'सॉफ्टवेयर' ही हैक था. यह पूरा घटनाक्रम मीडिया में उछला तो एक-एक कर सब कानून के सींखचों में आए और जेल भेजे जाने लगे.
घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर में 17 साल का नाबालिग लड़का रात करीब 3 बजे अपनी स्पोटर्स कार पोर्श दौड़ा रहा था. उसने बाइक सवार दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों (लड़का-लड़की) को टक्कर मार दी. हादसे में दोनों बाइक सवारों अनीश अवधिया और उसकी साथी अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई. ये दोनों 24 साल के थे और आईटी सेक्टर में काम करते थे. भीड़ ने नाबालिग को पकड़ लिया और जमकर पीटा. कार में उसके कुछ दोस्त भी सवार थे.
आरोपी 12वीं क्लास के रिजल्ट का जश्न मनाने के लिए दो पबों में अपने दोस्तों के साथ शराब पीने के बाद निकले थे. बाद में आरोपी नाबालिग को पुलिस के हवाले कर दिया गया. आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल पुणे के नामी रियल एस्टेट डेवलपर हैं. चूंकि मामला हाईप्रोफाइल था, इसलिए शुरुआत से पीड़ितों के परिवार ने सिस्टम पर सवाल उठाए. समय के साथ उनके दावों में भी दम देखने को मिला. जानिए कब-क्या हुआ...
1. स्पॉट पर गए थे दो अफसर, कंट्रोल रूम को नहीं दी जानकारी
मामले में शुरू से ही पुलिस पर अनदेखी का आरोप लगता रहा. हादसे के बाद सबसे पहले यरवदा पुलिस स्टेशन के दो अफसर घटनास्थल पर पहुंचे थे. लेकिन उन्होंने ना अफसरों को सूचना दी और ना कंट्रोल रूम को बताना जरूरी समझा. जोन-1 के डीसीपी गिल भी नाइट राउंड पर थे. उन्हें भी जानकारी नहीं दी. बाद में पुलिस ने दोनों अफसरों पर एक्शन लिया और उन्हें सस्पेंड कर दिया. दोनों अफसरों के नाम पुलिस निरीक्षक राहुल जगदाले और एपीआई विश्वनाथ टोडकरी हैं. आरोप है कि संबंधित अफसरों ने अपराध की देरी से रिपोर्ट की और कर्तव्य में लापरवाही बरती. आरोपी नाबालिग को मेडिकल परीक्षण के लिए भी लेकर नहीं गए.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.