क्या धनखड़ की मिमिक्री का मुद्दा उठाकर बीजेपी और सरकार ने बाजी पलट दी है?
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संसद के शीतकालीन सत्र में 13 दिसंबर को सुरक्षा उल्लंघन की घटना हुई तो विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बना लिया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सदन में बयान देने की मांग तेज कर दी थी. सदन की कार्यवाही में हंगामा करने पर अब तक 141 विपक्षी सदस्यों को सस्पेंड किया गया है. इस बीच, उपराष्ट्रपति की मिमिक्री के बाद विपक्ष बैकफुट पर आ गया है.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की संसद में मिमिक्री करने के मामले में टीएमसी-कांग्रेस समेत विपक्षी दल घिर गए हैं. बीजेपी ने विपक्ष पर हल्ला बोल दिया है. देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है. इस पूरे विवाद को किसान परिवार से लेकर जाट समाज तक से जोड़ दिया है. बीजेपी के साथ-साथ खुद उपराष्ट्रपति धनखड़ ने विपक्ष पर जाट समाज और उनकी पृष्ठभूमि का अपमान करने का आरोप मढ़ दिया है. एक दिन पहले तक संसद में सुरक्षा चूक और सांसदों के निलंबन का जोर-शोर से मामला उठा रहे विपक्षी दल बुधवार को बैकफुट पर आ गए हैं. एक जरा सी चूक हुई और पॉलिटिकल सिनेरियो ही चेंज हो गया है.
दरअसल, संसद का शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर से शुरू हुआ और 22 दिसंबर तक चलना है. इस सत्र के 19 दिनों में 15 बैठकें होना प्रस्तावित थीं. संसदीय कार्यवाही चल ही रही थी कि 13 दिसंबर को संसद पर हमले की 22वीं बरसी पर एक बड़ा घटनाक्रम हुआ. दो युवक संसद की दर्शक दीर्घा से वेल में कूद गए और हंगामा-नारेबाजी करने लगे. इन युवकों ने कलर स्प्रे हवा में उड़ाया तो सांसद भी दहशत में आ गए. किसी तरह दोनों युवकों को पकड़ा गया और सुरक्षा एजेंसियों को सौंप दिया. ठीक उसी समय संसद के बाहर भी एक युवती और एक युवक ने हंगामा-नारेबाजी और कलर स्प्रे हवा में छोड़ा. इस पूरे मामले को संसद की सुरक्षा का उल्लंघन बताया गया. पुलिस ने देश विरोधी धाराओं UAPA के तहत एक्शन लिया.
'संसद में सुरक्षा से चूक से हमलावर था विपक्ष'
विपक्षी सांसदों ने संसद में सुरक्षा चूक को बड़ा मुद्दा बनाने की रणनीति बनाई और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सदन में बयान देने की मांग तेज कर दी. अगले दिन यानी 14 दिसंबर को संसद की कार्यवाही शुरू हुई तो दोनों सदनों में सुरक्षा चूक का मामला गूंजने लगा. स्पीकर और सभापति ने सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालने के आरोप में 14 सांसदों को सस्पेंड कर दिया. इनमें 13 लोकसभा और एक राज्यसभा का सदस्य था. उसके बाद 18 दिसंबर को एक बार फिर सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष के रुख में नरमी की बजाय तीखापन देखने को मिला. अब दो मसले उठाए गए. पहला- सुरक्षा में चूक और दूसरा- सांसदों का निलंबन.
'गृह मंत्री के बयान की मांग पर अड़े थे विपक्षी नेता'
हंगामा बढ़ा और विपक्ष हमलावर रहा तो एक बार फिर कार्यवाही का चाबुक चलाया गया. इस बार दोनों सदनों से सीधे 78 सांसदों का निलंबन हुआ. इसमें 33 लोकसभा और 45 राज्यसभा के सदस्य थे. विपक्ष अपनी मांग पर अडिग रहा. अगले दिन यानी 19 दिसंबर को शीतकालीन सत्र की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष ने वही दोनों मांगें जोर-शोर से उठानी शुरू कर दीं. हंगामा इतना बढ़ा कि जो विधेयक एक दिन पहले पेश किए जाने थे, उन चर्चा असंभव सी लगने लगी. इस बीच, सस्पेंशन पर एक्शन में कमी नहीं आई. मंगलवार को भी 49 सांसदों को सस्पेंड किया गया. ये सभी लोकसभा सदस्य थे.
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