क्या दुनिया में सबसे ज्यादा पूछ भारतीय वर्करों की है, अमेरिका से लेकर इजरायल तक क्या कर रहे इंडियन्स?
AajTak
भारत सरकार उन देशों के साथ एग्रीमेंट करने जा रही है, जो डेमोग्राफिक डिक्लाइन की कगार पर हैं, यानी जहां आबादी तेजी से घट रही है. वैसे हम पहले ही जापान और फ्रांस के साथ लेबर सप्लाई एग्रीमेंट कर चुके हैं. इजरायल के साथ भी एक करार है, जिसके तहत हजारों भारतीय वहां खेती और मजदूरी के लिए भेजे जा रहे हैं.
इजरायल की उत्तरी सीमा पर हुए एक विस्फोट में केरल से गए एक मजदूर की मौत हो गई. इजरायल ने इसके लिए आतंकी गुट हिजबुल्लाह को जिम्मेदार बताया है. इस बीच लगातार ये बात आ रही है कि युद्ध-प्रभावित इस देश में भारतीयों का वर्कफोर्स की तरह जाना कितना सेफ है. भले ही इजरायल सुरक्षा का आश्वासन और काम की अच्छी कीमत दे रहा है, लेकिन ताजा हादसा कुछ और ही कहता है. वैसे इजरायल अकेला देश नहीं, दुनिया के कई देशों में भारतीय लेबर की अच्छी-खासी डिमांड रही. जानिए, क्या है इसकी वजह.
भारत और इजरायल ने फ्रेमवर्क एग्रीमेंट एंड इम्प्लिमेंटेशन प्रोटोकॉल्स साइन किए. ये वो करार है, जो इजरायल में काम करने गए भारतीयों को समान अधिकार और सुरक्षा की गारंटी देता है. उन्हें मेडिकल ट्रीटमेंट और सोशल सिक्योरिटी कवरेज भी मिलेगी. इसके अलावा मजदूरी या खेतों में काम के लिए अच्छी तनख्वाह दी जाएगी. ये तमाम चीजें हैं, जिनकी वजह से भारत के कई राज्यों से लोग इजरायल जाने लगे.
इजरायल को क्यों पड़ी जरूरत? इस देश का फिलहाल हमास के साथ युद्ध चल रहा है. काफी संख्या में इजरायली नागरिक सेना में चले गए. फिलिस्तीन के भी लोग अनस्किल्ड लेबर करते थे. हमास के साथ तनाव में इजरायल ने उनकी एंट्री रोक दी. ऐसे में वहां काम के लिए भरोसेमंद लोगों की जरूरत पड़ी. भारत से दोस्ताना संबंधों के चलते देश ने हमसे संपर्क किया. इस तरह से नई खेप वहां जाने लगी. वैसे इससे पहले से भी हजारों भारतीय इजरायल में एक खास काम के लिए जाते रहे.
बुजुर्ग आबादी की देखरेख के लिए इजरायली परिवार केयरगिवर्स हायर कर रहे हैं. इसमें भारतीय टॉप पर हैं. धीरज और प्रोफेशनल स्किल्स के चलते वे इजरायल की पसंद बने हुए हैं. यही वजह है कि वहां रह रहे करीब 14 हजार भारतीय यही काम करते हैं. सोशल मीडिया पर इजरायली केयरगिवर्स के कई ग्रुप चलते हैं. इनकी मानें तो वहां सवा लाख से 3 लाख तक की तनख्वाह कॉमन है. घंटों के हिसाब से देखें तो प्रति घंटा काम के बदले कम से कम 9 सौ रुपए मिलते हैं. रहने-खाने का खर्च अलग से है. साथ ही मेडिकल सुविधाएं भी केयरगिवर का परिवार ही उठाता है.
भारत में किन राज्यों से जा रहे लोग? केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र से लोग इजरायल जा रहे हैं. भारतीयों के अलावा नेपाल और फिलीपींस जैसे देशों के लोग भी इजरायल में केयरगिवर का काम करते मिल जाएंगे.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.