
कौन हैं अलावी, जिनपर मुस्लिम-बहुल सीरिया में हो रही हिंसा, क्यों सुन्नियों के निशाने पर?
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सीरिया में अलावी समुदाय सेना और चरमपंथी गुटों के निशाने पर है. कुछ समय पहले ही वहां बशर-अल-असद का तख्तापलट हुआ था. इसके बाद से सुन्नी समुदाय अलावियों पर हावी है. माना जा रहा है कि कुछ ही दिनों के भीतर वहां इससे जुड़े हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके. ये वही कम्युनिटी है, जो दशकों तक सीरिया की रीढ़ बना रहा.
मध्यपूर्व में हिंसा जंगल की आग की तरह हो चुकी, जो फैलती ही जा रही है. लगभग डेढ़ दशक पहले यहां अरब स्प्रिंग शुरू हुआ था, जिसने सीरिया से बढ़ते हुए पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया. अब इस देश में एक बार फिर कत्लेआम मचा हुआ है. हाल में नई सरकार और सत्ता से बेदखल हुए राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थकों के बीच भारी संघर्ष हुआ. सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के अनुसार, इसमें दो दिनों के भीतर लगभग हजार मौतें हो चुकीं. अलावी मुस्लिम समुदाय को खासतौर पर निशाना बनाया जा रहा है.
सीरिया में अभी क्या हो रहा है पिछले साल के आखिर में सीरिया में लगभग आधी सदी से चले आ रहे परिवारवाद का खात्मा बशर अल-असद के तख्तापलट के बाद हुआ. राष्ट्रपति असद देश छोड़कर भाग गए, और विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम के हाथ में बागडोर आ गई. ये एक चरमपंथी संगठन था, जिसके पास राजनीतिक तजुर्बा कुछ था नहीं. तब ये शंका जताई गई कि देश के हाल दोबारा खराब न होने लगें.
वही हो रहा है. हालांकि सत्ता कुछ समय के लिए अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा के पास है लेकिन देश में अस्थिरता के बीच सुन्नी समुदाय अलावियों पर हावी हो गया. वो बशर अल-असद के दौर में हुई नाइंसाफियों का बदला आम अलावियों पर हिंसा से ले रहा है. इसमें भी कई चरमपंथी गुट सेना के साथ मिलकर हमले कर रहे हैं. खुद राष्ट्रपति ने बीच-बचाव की कोशिश की, लेकिन सतही तौर पर ही.
असद और अलावियों का क्या संबंध अलावी समुदाय बड़े पैमाने पर बशर अल-असद के समर्थन में रहा. इसकी कई वजहें हैं. जैसे असद परिवार का बैकग्राउंड ही अलावी है. उनके पिता ने सत्ता में आते ही सरकारी और सैन्य पदों पर बड़ी संख्या में अलावियों को अपॉइंट किया. उन्हें सत्ता और रिसोर्सेज में सीधा और मोटा हिस्सा मिलने लगा, जबकि उनकी आबादी करीब 12 फीसदी ही है, वहीं सुन्नी जनसंख्या 74 प्रतिशत.
मेजोरिटी सुन्नी समुदाय उनपर नाराज रहने लगा और इस मौके पर जबकि अलावियों की सेफ्टी लेयर कमजोर हो चुकी, उनपर हमला कर दिया. लेकिन सत्ता में बड़ी भागीदारी ही अकेला कारण नहीं, सुन्नियों के गुस्से के पीछे धार्मिक कारण भी हैं.

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