कोलकाता में भाजपा दफ्तर के बाहर मिली संदिग्ध वस्तु बम नहीं
AajTak
कोलकाता पुलिस के बम निरोधक दस्ते के विशेष सूत्रों ने दावा किया कि यह कोई बम नहीं था, इसे बस एक रस्सी से बांधकर बनाया गया बम बताया गया था. किसी ने इसे फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के दौरे से पहले डराने के लिए सड़क के बीच में रख दिया था.
कोलकाता में भाजपा दफ्तर के बाहर रविवार को मिली संदिग्ध वस्तु बम नहीं था. बम निरोधक दस्ते (BDDS) की टीम ने इसकी जानकारी दी है. पहले संदिग्ध वस्तु की जांच के लिए बम निरोधक दस्ता और डॉग स्क्वायड मौके पर पहुंचे. बाद में जांच में पता चला कि संदिग्ध वस्तु बम नहीं है.
कोलकाता पुलिस के बम निरोधक दस्ते के विशेष सूत्रों ने दावा किया कि यह कोई बम नहीं था, इसे बस एक रस्सी से बांधकर बनाया गया बम बताया गया था. किसी ने इसे फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के दौरे से पहले डराने के लिए सड़क के बीच में रख दिया था. स्थानीय पुलिस सीसीटीवी फुटेज जुटा रही है ताकि पता लगाया जा सके कि किसने साजिश रचने के लिए यह वस्तु रखी थी.
बता दें कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच के लिए गठित चार सदस्यीय समिति के सदस्य पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद रविवार को कोलकाता पहुंचे. उन्होंने सवाल उठाया कि हिंसा की घटनाएं सिर्फ तृणमूल कांग्रेस शासित राज्य में ही क्यों होती हैं, जबकि देश के बाकी हिस्सों में चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से होते हैं.
रविवार को पत्रकारों से बातचीत में प्रसाद ने कहा, 'मुझे सिर्फ एक बात कहनी है. पूरे देश में चुनाव होते हैं, चुनाव के बाद सिर्फ बंगाल में ही हिंसा क्यों होती है? ग्राम पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव के दौरान भी हिंसा हुई थी. आज फिर हिंसा की खबरें आ रही हैं.'
भाजपा की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी रविवार को स्थिति का तत्काल जायजा लेने और राज्य में चुनाव बाद हुई हिंसा पर आगे की रिपोर्ट देने के लिए कोलकाता पहुंची. समिति का गठन शनिवार को किया गया और इसमें देब और प्रसाद के साथ पार्टी नेता बृजलाल और कविता पाटीदार शामिल हैं.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.