
कोलकाता, गुरुदेव टैगोर और जॉर्ज वाशिंगटन... स्टेट डिनर स्पीच में बाइडेन ने किया तीनों को याद
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त अमेरिका के राजकीय दौरे पर हैं. इस दौरान 23 जून का दिन स्टेट डिनर के नाम रहा. पीएम मोदी का बाइडेन दंपती ने गर्मजोशी से स्वागत किया. स्टेट डिनर के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में पीएम मोदी का आभार जताया और कहा कि भारत के साथ हमारे संबंध ऐतिहासिक हैं.
पीएम मोदी अमेरिका की स्टेट विजिट पर हैं और इस दौरान वह अमेरिकी फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन द्वारा आयोजित स्टेट डिनर में शिरकत कर रहे हैं. भारतीय समयानुसार 23 जून की सुबह 5:30 बजे इस स्टेट डिनर की अमेरिका में औपचारिक शुरुआत हुई, जिसमें बाइडेन दंपती ने बेहद ही गर्मजोशी से पीएम मोदी का स्वागत किया और भारत-अमेरिका के बीच दोस्ती के महान बंधन के जश्न की शुरुआत की.
अमेरिका में याद आए टैगोर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने संबोधन में पीएम मोदी का बार-बार आभार जताया और इस संबंध के इतिहास पर भी रौशनी डाली. उन्होंने अपने संबोधन में नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवींद्र को याद किया, साथ ही पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन का भी जिक्र किया और कहा, ये संबंध हमारी प्रारंभिक शुरुआत के दिनों से आरंभ हुए थे.
ऐसे की राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने संबोधन की शुरुआत अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने संबोधन की शुरुआत, नमस्ते और Good Evening कहते हुए की. आगे उन्होंने कहा कि 20 साल पहले सीनेट के पहले विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष के रूप में मैंने ये स्पष्ट कर दिया था, अगर संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत अगर सबसे करीबी दोस्त बन गए तब दुनिया एक सुरक्षित जगह होगी. राष्ट्रपति के रूप में आज मेरा ये मानना और अधिक सार्थक है. जिल और मैं आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बहुत अच्छा समय बिताया है. आज रात हम भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच दोस्ती के महान बंधन का जश्न मनाते हैं. जो लंबे समय तक रहेगा.
पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा का फुल कवरेज यहां देखें
पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन को किया याद बाइडेन ने कहा कि 'ये बंधन हमारी प्रारंभिक शुरआती दिनों से आरंभ हुए थे. जॉर्ज वाशिंगटन ने अमेरिका के पहले वाणिज्य दूतावास की स्थापना कोलकाता में की थी. किसी भी अन्य भारतीय शहरों की तुलना में यह सबसे अधिक नोबेल विजेताओं का शहर है. इस दौरान उन्होंने गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर को भी याद किया, जिन्होंने दो देश भारत और बांग्लादेश के लिए राष्ट्रगान लिखे. 100 साल पहले उन्होंने अपने बेटे को अमेरिका भेजा. उन्होंने कहा, 'वह कहते हैं कि हमारे सभी काम की हलचल में यह आवाज आती है, मुझे ले चलो, जहां मन बिना किसी डर के है, जहां मन को आगे ले जाया जाता है. स्वतंत्रता के उस स्वर्ग में निरंतर, जहां स्वतंत्रता व्यापक विचार और कार्रवाई में है.'

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