कोरोना: लॉकडाउन पर केंद्र ने राज्यों के पाले में डाली गेंद, अमित शाह बोले- अब राज्यों के पास अधिकार
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कई राज्यों ने अपने यहां मिनी लॉकडाउन या नाइट कर्फ्यू जैसी पाबंदियां लगाई हैं. लेकिन जैसे हालात बन रहे हैं उसपर एक बार फिर नेशनल लॉकडाउन का खतरा मंडराने लगा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस चर्चा को लेकर कहा है कि केंद्र ने पाबंदियों को लेकर फैसला लेने की छूट अब राज्यों के हाथ में दे दी है.
देश में कोरोना वायरस के कारण हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं, कई राज्यों ने अपने यहां इसी वजह से मिनी लॉकडाउन या नाइट कर्फ्यू जैसी पाबंदियां लगाई हैं. लेकिन जैसे हालात बन रहे हैं उसपर एक बार फिर नेशनल लॉकडाउन का खतरा मंडराने लगा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस चर्चा को लेकर कहा है कि केंद्र ने पाबंदियों को लेकर फैसला लेने की छूट अब राज्यों के हाथ में दे दी है, राज्य सरकारें ही अपने हिसाब से निर्णय ले रही हैं. एक इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा, ‘विगत 3 महीनों से हमने पाबंदियां लगाने के अधिकार राज्यों को दिए हैं, क्योंकि हर राज्य की स्थिति एक समान नहीं है. ऐसे में राज्य सरकारों को अपनी परिस्थितियों के अनुसार फैसला लेना होगा.’ अमित शाह ने कहा कि जब पहली बार लॉकडाउन लगा तब देश में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर काफी कमजोर था, बेड्स-टेस्टिंग-ऑक्सीजन समेत कई तरह की सुविधाएं पहले नहीं थीं. हालांकि, अब केंद्र और राज्यों की सहायता से काफी तैयारियां हो चुकी हैं. अमित शाह ने कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए हर राज्य को अपने यहाँ की स्थिति के हिसाब से खुद निर्णय लेने होंगे और केंद्र सरकार उनकी पूरी मदद करेगी. कोरोना काल में कुंभ पर क्या बोले अमित शाह? केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कुंभ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद संतों से बात की है और कुंभ को प्रतीकात्मक करने की बात कही है. करीब 13 में से 12 अखाड़ों ने अपनी ओर से कुंभ समाप्ति करने का ऐलान कर दिया है, लोगों की संख्या भी अब कम हो रही है. अमित शाह ने कहा कि जिन राज्यों में विदेश से आने वाले लोगों की आवाजाही अधिक है, वहां पर कोरोना का प्रसार तेज़ी से हुआ है. जिन राज्यों में कुंभ या चुनाव नहीं हो रहा है, वहां पर भी कोरोना के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं और देश में सर्वाधिक हैं.मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
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