कैसे काम करती है पाकिस्तान की संसद? भारत से कितना अलग है वहां का सियासी सिस्टम?
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भारत और पाकिस्तान की संसद के काम करने का तरीका लगभग एक जैसा ही है. भारतीय संसद में भी दो सदन होते हैं और पाकिस्तान की संसद में दो सदन होते हैं. निचले सदन के सदस्यों का कार्यकाल 5 साल और ऊपरी सदन के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल होता है.
Pakistan Political Crisis: भारत और पाकिस्तान, दो अलग-अलग मुल्क. कभी एक ही हुआ करते थे. 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान बना. चूंकि भारत पर अंग्रेजों ने राज किया था, इसलिए जब भारत का अपना संविधान बना तो उसमें अंग्रेजों के बनाए कानून की झलक भी दिखी. ठीक ऐसा ही पाकिस्तान में भी हुआ. भारत और पाकिस्तान दोनों ही जगह ज्यादातर कानून एक जैसे ही हैं.
बात संसद की है तो दोनों ही देशों की संसद के कामकाज में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. अगर वो पास हो जाता तो इमरान की सरकार गिर जाती. भारत में भी ऐसा ही होता है. विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आता है और अगर वो पास हो जाता है तो सरकार गिर जाती है.
भारत और पाकिस्तान की संसद के काम करने का तरीका लगभग एक जैसा है. हालांकि, कई सारी बातें ऐसी भी हैं जो दोनों देशों के राजनीतिक सिस्टम को अलग बनाती हैं. बारी-बारी जानते हैं कि आखिर ऐसी कौन सी बातें हैं जो भारत और पाकिस्तान की संसद को अलग बनाती हैं?
1. संसद को क्या कहा जाता है?
- भारत की तरह ही पाकिस्तान में संसद के दो सदन हैं. भारत की संसद को संसद ही कहा जाता है, जबकि पाकिस्तान की संसद को मजलिस-ए-शूरा कहा जाता है.
- भारतीय संसद के निचले सदन को लोकसभा और ऊपरी सदन को राज्यसभा कहते हैं. वहीं, पाकिस्तान के निचले सदन को नेशनल असेंबली और ऊपरी सदन को सीनेट कहते हैं. नेशनल असेंबली को उर्दू में कौमी इस्म्ब्ली और सीनेट को आइवान-ए-बाला कहा जाता है.
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